इंसाफ मांग रहे है जो हमदर्द जिसका,
बता दो फिर कोई बराबर की सजा,
है कोई सजा उस डर के बराबर,
जिसे महसूस किया है लौ ने बुझने से पहले..
बताओ सजा उस उम्मीद के बदले,
जो आखिरी सांसो तक तकती रही निगाहें.
रहम को तरसती हर आह के बदले,
हर सजा कम है उस गुनाह के बदले..
नहीं है सजा कोई उस दर्द के बदले ,
नहीं है सजा कोई उस वक्त के बदले,
जिसे महसूस किया किया है लौ ने बुझने से पहले..
बस इतना सा रहम तू कर दे खुदा,
इंसानियत जरूरी करदे तू सांसो के बदले,
घुटने लगे दम इंसा का तभी,
कम होने लगे रूह से जब इंसानियत कभी..
हर जुर्म की अब हद हो रही है,
लोगो से इंसानियत खो रही है..

Hindi Shayri by Sarita Sharma : 111298268
Rudra... 4 year ago

Welcome always

... 4 year ago

Ya.. Good good Keep it up... ????

Sarita Sharma 4 year ago

Mb पर रहकर अब इतनी सिख ली है..और google translate बना इसलिए ही है..

... 4 year ago

Google translate करना अच्छी बात नही ??

Sarita Sharma 4 year ago

हांजी..

... 4 year ago

ઓહ.. તો તો બહું સારું કહેવાય..

Sarita Sharma 4 year ago

अब ऐसा भी नही की गुजराती कुछ भी नही आती.. इतना समझ आता है..

... 4 year ago

ओह सोरी मे बुल गया था की आप गुजराती से वाकिफ नही...? वाह क्या बात हे....✌?

Sarita Sharma 4 year ago

धन्यवाद..

... 4 year ago

વાહ શું વાત છે...✌?

મોહનભાઈ આનંદ 4 year ago

શુભ સવાર નમસ્કાર

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