तिशनगी
बैठे जो बज्म में कयामत आएगी |
उठे जो बज्म से कयामत आएगी ||
उनका हर बार ये कहेना और नहीं |
इनकार न करना कयामत आएगी ||
सखी चलो अच्छा हुआ चल दिये |
कुछ और ठहरते कयामत आएगी ||
दर्शिता

Hindi Shayri by Darshita Babubhai Shah : 111257057
Abbas khan 5 year ago

Waah...?? हमारी ही रूह को वजूद से जुदा कर गया एक शक्स ज़िंदगी में आया क़यामत की तरह

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