उठा कवि... #kavyotsav 2.0

उठ कवि,
कलम उठा तू,
राष्ट्रीय प्रेम जगा तू,
ना अब कही कोई हिंसा हो,
ना अब कोई घर जला हो,
दिलो में प्यार जगा तू,
ऐसा गीत सुना तू।
उठ कवि,
कलम उठा तू,
राष्ट्रीय प्रेम जगा तू,
ना जाति-पाती का झगड़ा हो,
ना मजहब का कोई लफड़ा हो,
ऐसा रस बरसा तू,
प्रेम कविता बना तू।
उठ कवि,
कलम उठा तू,
राष्ट्रीय प्रेम जगा तू,
ना भ्रष्ट कोई नेता हो,
ना कष्ट कोई से‍हता हो,
ऐसा नेता जगा तू,
नया इतिहास बना तू।
उठ कवि,
कलम उठा तू,
राष्ट्रीय प्रेम जगा तू,
ना बेटियों की हत्या हो,
ना नरिया तबाह हो,
ऐसा सम्मान जगा तू,
नारी सम्मान जगा तू।
उठ कवि,
कलम उठा तू,
राष्ट्रीय प्रेम जगा तू,
ना अब कोई अशिक्षित हो,
ना अब कोई विचलित हो,
ऐसा ज्ञान फैला तू,
अक्षर ज्ञान जगा तू।
उठ कवि,.......

         स्वरचित एवम् मौलिक
             उमा वैष्णव
            सुरत (गुजरात)

English Poem by Uma Vaishnav : 111169179
Uma Vaishnav 5 year ago

? धन्यवाद जो ?

Uma Vaishnav 5 year ago

? धन्यवाद जी ?

Uma Vaishnav 5 year ago

? धन्यवाद जी ?

Uma Vaishnav 5 year ago

? धन्यवाद जी ?

Uma Vaishnav 5 year ago

? धन्यवाद जी ?

Uma Vaishnav 5 year ago

? धन्यवाद जी ?

Uma Vaishnav 5 year ago

? धन्यवाद जी ?

Uma Vaishnav 5 year ago

? धन्यवाद जी ?

Uma Vaishnav 5 year ago

? धन्यवाद जी ?

Uma Vaishnav 5 year ago

? धन्यवाद जी ?

Uma Vaishnav 5 year ago

? धन्यवाद जी ?

Tr Ajit 5 year ago

ye sandar sandesh hai desh ke lia..... very cute

Uma Vaishnav 5 year ago

? धन्यवाद जी ?

Uma Vaishnav 5 year ago

? धन्यवाद जी ?

Uma Vaishnav 5 year ago

? धन्यवाद जी ?

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