#काव्योत्सव
आज कुछ अलग सा है जाम बनाया
ये आसमान से बरसता अमृत
दिल का छलकता सागर बनाया
यादों के कतरे बर्फ से
आँखों से नमक मिलाया
तुमने थामी है जो वक्त की प्याली
कुछ खारी है कुछ है बावली
छन्न से खनकी जो बर्फ की फुहार
खुशियों के भी हैं कुछ सवाली
जाम में चन्द बूंदे मय की
बाकी भरी है धार बरसात की
चल पड़े दो चार कदम
बेजुबान है जुबाँ प्यार की .... निवेदिता
#काव्योत्सव