hindi Best Comedy stories Books Free And Download PDF

Stories and books have been a fundamental part of human culture since the dawn of civilization, acting as a powerful tool for communication, education, and entertainment. Whether told around a campfire, written in ancient texts, or shared through modern media, Comedy stories in hindi books and stories have the unique ability to transcend time and space, connecting people across generations and cul...Read More


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  • लाल  - हरी लाईट

    लाल - हरी लाईट हम तो ठहरे छोटे से कस्बे में रहने वाले छोटे से आदमी ।...

  • तबादलोत्सव

    उत्सव का नाम बहुत सुना था। देखा था। भाग लिया था। रंगोत्सव, फागोत्सव, दीपोत्सव, न...

  • छोटा सट्टा-बड़ा सट्टा

    छोटा सट्टा-बड़ा सट्टा एक छोटे से चाय के टपरे के पास खड़े एक आदमी को एक बच्चा...

मैं नेता बनुंगा By Alok Mishra

मैं नेता बनुंगा आज तो मैं भौचक्का ही रह गया । उसने बस इतना ही कहा ‘‘ सर मैं नेता बनना चाहता हुॅ । ’’ सच कहुॅ तो शिक्षा विभाग में मेरा थट्टी ईयर का एक्सपीरियन्स धरा का ध...

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लाल  - हरी लाईट By Alok Mishra

लाल - हरी लाईट हम तो ठहरे छोटे से कस्बे में रहने वाले छोटे से आदमी । जब हमारे कस्बे में कोई कालेज खुल जाये , कोई अस्पताल दस से बीस बिस्तर का हो जाए या किसी चौक पर किसी...

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तबादलोत्सव By Anand M Mishra

उत्सव का नाम बहुत सुना था। देखा था। भाग लिया था। रंगोत्सव, फागोत्सव, दीपोत्सव, नववर्ष उत्सव। बीच-बीच में महोत्सव भी देखता-सुनता था। लेकिन यहाँ चर्चा “तबादलोत्सव” की कर रहे हैं। यह...

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छोटा सट्टा-बड़ा सट्टा By Alok Mishra

छोटा सट्टा-बड़ा सट्टा एक छोटे से चाय के टपरे के पास खड़े एक आदमी को एक बच्चा पैसे देकर ‘‘ओपन और क्लोज लगाने’’ के लिए कहता है । बस दूसरे दिन वो बच्चा किसी अखबार के कोने में अलग...

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एक जानवर का सच (व्यंग्य) By Alok Mishra

 एक जानवर का सच  एक सर्वे के अनुसार इन्टरनेट और मोबाइल के कारण अपराध और परिवारों का टूटना बढ़ा है इसके पीछे क्या कारण हो सकते है ? इसे जानने के लिए कृपा करके आप...

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पाक स्थान (व्यंग्य) By Alok Mishra

पाक स्थान (व्यंग्य) आपने शीर्षक तो ध्यान से पढा है न ? यहाँ हम अपने उस पडोसी की बात नहीं कर रहे है जिसे लाख कोशिशों के बाद भी हम बदल नही सके । हमारा पडोसी पाकिस्तान हमे...

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भगवान फॅस गए.....( व्यंग्य) By Alok Mishra

भगवान फॅस गए..... हमारे रामलाल जी हमेशा ही परेशानियों में रहते है । कुछ लोगों कहते है कि उनका और परेशानियों का चोली-दामन का साथ है तो कुछ लोग रामलाल को पैदायशी परेशान आदमी मा...

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किरदारों की दुकान ( व्यंग्य ) By Alok Mishra

किरदारों की दुकान अमा यार ................. आप क्या सोचने लगे, ज्यादा ना सोचो, सोचने से लोगों का सिर दुखने लगता है और फिर ........... आपका ये नाचिज खिजमतदार आखिर किस दिन...

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आज मतगणना है.......(व्यंग्य) By Alok Mishra

आज मतगणना है....... आजकल एक हंगामा सा बरपा है । पिछले कुछ दिनों से जिसे देखिए एक ही बात करता है और बात है .... चुनाव की । चुनाव की घोषणा के साथ ही आचार संहिता में प्रशासकीय...

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आत्‍मसम्‍मान By rajendra shrivastava

कहानी--- आत्‍मसम्‍मान राजेन्‍द्र कुमार श्रीवास्‍तव,...

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जूता पुराण  By Alok Mishra

जूता पुराण आज खबरों में रोज ही जूतों की महिमा का गुणगान हो रहा है । जहाॅ देखिए वहीं निर्भीक भाव से जूते चलाए जा रहे है । जूते खाने वाले अक्सर ही ऐसे लोग होते...

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सियासत के हवाले से By Satyadeep Trivedi

सियासत के हवाले सेजिस प्रकार आत्मा मरती नहीं है, केवल पुराने शरीर को छोड़कर नये शरीर में प्रवेश कर जाती है। ठीक वैसे ही नेता भी नहीं मरता है। वो पुरानी पार्टी को छोड़कर नयी पार्टी मे...

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आभार (व्यंग्य ) By Alok Mishra

आभार (व्यंग्य ) हमारे यहाॅ कोई भी मंचीय कार्यक्रम हो बहुत ही पारंपरिक तरीके से ही होता है । पूरे कार्यक्रम के पश्चात् जब लोग उठ कर जाने लगते है, अतिथी अपना स्थान छोड़ कर स्व...

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स्वयम्की (व्यंग्य ) By Alok Mishra

स्वयम्की ( व्यंग्य ) आप सोच रहे होंगे मुझे ‘‘स्वयम् की’’ लिखना चाहिये था। लेकिन नहीं सहाब मैं ‘‘स्वयम्की’’ ही लिखना चाहता था और वही लिखा है। अब आजकल जमाना बद...

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परिचय या पहचान पत्र (व्यंग्य) By Alok Mishra

परिचय या पहचान पत्र एक दिन बेचारे शर्मा जी से हमारी मुलाकत एक चैराहे पर हो गई। बेचारे वो... और उनकी बेचारगी का कारण यह है कि वे इस युग में भी सभी काम नियमानुसार करने पर...

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प्रवक्ता जी By Alok Mishra

प्रवक्ता जी हाँ तो साहब बात को प्रारम्भ से ही प्रारम्भ करते है , हम आप से पूछना चाहते है कि क्या आप सखाराम को जानते है ? हमने इतना कठिन प्रश्न तो नहींं पूछा ...... अरे....

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R का बटन By Amulya Sharma

गांव में उत्साह का माहौल था क्योकि मेरे गांव में फोन लगने वाला था और यह बहुत ही बड़ी बात थी। गांव में बहुत सालों से फोन की सुविधा उपलब्ध नहीं थी और सभी गांव वालों को किसी बाहरी व्य...

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गधादेश का मंत्रीमण्‍ड़ल By Alok Mishra

गधादेश का मंत्रीमण्‍ड़ल गधादेश में अभी-अभी चुनाव हुआ है । जैसा की आप तो जाते ही है, आज कल अल्‍पमत सरकारों का जमाना है । इसी से पता चलता है कि जनता को किसी पर भी भरोसा नहीं है...

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सेब क्यों गिरा By Alok Mishra

सेब क्यों गिरा एक दिन मैं यूॅ ही स्कूल के गलियारे में टहल रहा था । छुट्टी का समय होने के कारण छात्र-छात्राएँ भी कक्षाओं से बाहर यहाॅं-वहाॅं टहल रहे थे । एक कक्षा में बैठे...

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क्यों लिखूं....? By Alok Mishra

क्यों लिखूं....? आपका ये नाचीज कभी-कभार अपने मन की बात लिखकर आप तक पहुंचा कर अपने मन के बोझ को कम करता रहता है, इस लिखने के चक्कर में कभी प्रशंसा मिली तो कभी आलोचना, कभ...

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चोलबे ना - 9 - इज्जतदार लेखक By Rajeev Upadhyay

लेखक नामक प्रजाति के सदस्य अक्सर अकादमियों और मंत्रालय के अधिकारियों को कोसते रहते हैं। ये उनकी स्पष्ट राय है कि ये अधिकारी लेखकों को उनके जीते-जी सम्मान नहीं देते हैं। ये अधिकार...

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रामलाल का सन्यास By Alok Mishra

रामलाल का सन्यास अभी -अभी प्राप्त समाचार के अनुसार रामलाल जी ने राजनीति से सन्यास लेने की घोषणा कर दी है । रामलाल जी को तो आप जानते ही है । ये वे ही रामलाल है जिन्होंने अप...

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कस्बे का आई.सी.यू. By Alok Mishra

कस्बे का आई.सी.यू. ये एक छोटा सा कस्बा है । इस कस्बे में एक सरकारी अस्पताल भी है । जहॉं कुछ डॅ़ाक्टर केवल इसलिए आ जाया करते है कि उनकी तनख्वाह के साथ-साथ घरेलू दवाखाना भी...

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पंछी उवाच By Alok Mishra

पंछी उवाच ये जंगल बहुत ही अच्छा और सुंदर था । कल-कल करती नदियॉ , हरे-भरे पेड़ों से लदे पहाड़ और जानवरों की बहुतायत । हम जानवरों को सब कुछ इसी जंगल से ही मि...

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पुतला (व्यंग्य ) By Alok Mishra

‘‘पुतला’’ मैं पुतला हूँ। यदि आप न समझें हो तो मैं वही पुतला हूँ, जो दशहरे में रावण के रूप में और होली में होलिका के रूप में अनेक वर्षों से जलता रहा हूँ। मेरे अंगों के रूप में...

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गरीबी और गरीब ( व्यंग्य ) By Alok Mishra

गरीबी और गरीब ( व्यंग्य ) गरीबी और मंहगाई दो बहनें आजादी के मेले में एक दूसरे का हाथ पकड़े भारत के पीछे-पीछे लग गई । तब से लेकर आज तक इन दोनों ने ही देश की राजनीति और चुनावों...

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सत्य मोहे न सोहते ( व्यंग्य ) By Alok Mishra

सत्य मोहे न सोहते ( व्यंग्य ) बचपन से एक ही पाठ पढ़ा है ‘‘सत्य बोलो’’ क्योंकि ‘‘सत्यमेव जयते।’’ सत्य की विजय को लेकर अनेकों काल्पनिक कहानिया‌ॅ बचपन से केवल इसलिए स...

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व्हीप......व्हीप......व्हीप.... (व्यंग्य) By Alok Mishra

व्हीप......व्हीप......व्हीप.... ‘‘आज के समाचार यह है कि राम प्रसाद जो कि गधा पार्टी के नेता हैं, से सुअर पार्टी पर प्रहार करते हुये व्हीप.......व्हीप.......व्हीप कहा। इसके...

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होली का दिन ( होली स्पेशल) By RACHNA ROY

दीपू होली के पहले दिन ही पापा के साथ जाकर तरह-तरह के रंग, पिचकारी, गुब्बारे सब कुछ खरीद कर ले आया।दीपू होली के पहले दिन ही पापा के साथ जाकर तरह-तरह के रंग, पिचकारी, गुब्बारे सब कुछ...

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यमराज का आगमन By Alok Mishra

यमराज का आगमन अचानक एक धमाकेदार खबर सुर्खियाॅ बन गई । बनती भी क्यों न , खबर ही ऐसी थी । खबर आई कि यमदूत आने वाले है । बस , सब तरफ कोहराम मच गया । यमदूत कब आते है और कब चले जाते...

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होली कब है ? By Alok Mishra

होली कब है ? रामलाल एक दिन बाजार में मिल गए । बाताे - बातों में वे बोले ''होली कब है ? हम सोचने लगे कि ये तो ठहरे पुलिस वाले इन्हें कोर्इ रामगढ -वामगढ तो लूटना है न...

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उपवास कैसे रखें ....  (व्यंग्य) By Alok Mishra

उपवास कैसे रखें ...... व्यंग्य अब साहब आपके ये दिन आ गए कि कोई मुझ जैसा अदना सा व्यक्ति आपको यह बताए कि उपवास कैसे रखें ? बात बिलकुल भी वैसी नहीं है जैसी आप समझ रहें ह...

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दावत-अदावत (व्यंग्य ) By Alok Mishra

दावत-अदावत (व्यंग्य ) दावत शब्द सुनते ही लज़ीज पकवानों के की महक से मुंह में पानी आना स्वाभाविक ही है । शादी - ब्याह हो , जन्म दिवस या कोई और ही दिवस बिना दावत के सब अधूरा...

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बिना मुद्दे की बकवास (व्यंग्य) By Alok Mishra

बिना मुद्दे की बकवास ( व्यंग्य) नमस्ते ....आदाब....सत्तश्रीअकाल....आज फिर शाम के छः बज रहे है और मैं खवीश हाजिर हुँ बिना मुद्दे की बकवास के साथ । आप को बता दें कि यही एक शो...

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धंधा मारा जाएगा By Kishanlal Sharma

इक्कीसवीं सदी साइंस का जमाना।शिक्षा के प्रसार के साथ लोगो का ज्ञान बढ़ा है।लोग जागरूक हुए है और उनमें समझदारी आयी है।पहलेकी तरह लोग अज्ञानी और कूप मण्डूक नही रहे।सोशल मीडिया ने क्रा...

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मेरी कीमत क्या है ? (व्यंग्य) By Alok Mishra

मेरी कीमत क्या है ? (व्यंग्य) हम ठहरे एक आम आदमी ........नहीं ... नहीं , जनता..... अरे......नहीं...... फिर राजनैतिक हो गया । खैर आप तो समझ ही गए है कि हम और आप एक जैसे...

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How are you, Mr. Khiladi ? By BRIJESH PREM GOPINATH

देर रात शिफ्ट पूरी कर घर पहुंचा तो हालत देखकर भौंचक्का रह गया.ऐसा लगा मानो भूकंप आया हो.एक जूता बाथरूम के पास तो दूसरा किचन के दरवाज़े पर,अख़बार के टुकड़े बिखरे हुए,मैं हैरान कमरे...

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पांडे जी की सायकिल (व्यंग्य कथा) By Alok Mishra

पांडे जी की सायकिल (व्यंग्य कथा) अब साहब आपका पूछना जायज ही होगा कि पांडे जी कौन ? आपने पूछ ही लिया है तो हम बताएं देते है। पांडे जी हमारे शहर की कोई नामचीन हस्ती तो है नहीं।...

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कलयुग में भगवान By Kishanlal Sharma

"नारायण नारायण---घोर कलयुग है"क्या हुआ नारद,"भगवान विष्णु, नारद को देेेखते ही बोले," चितित नज़र आ रहेे हो।कहाँ से आ रहे हो?"प्रभु भूलोक में गया था।पूरी पृथ्वी का भृमण करके आ रहा...

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बुरा तो मानों .... होली है ( व्यंग्य ) By Alok Mishra

बुरा तो मानों...... होली है ( व्यंग्य) लो साहब होली आ गई । सब ओर नारा लगने लगा ‘ बुरा न मानो .... होली है । वैसे भी हम भारतियों की परंपरा रही है कि होली हो या न हो हम बुरा नहीं...

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अंग्रेजी में बैठना कुत्ते का By कृष्ण विहारी लाल पांडेय

मैं काफी मॉडर्न थे। इस लिए उनके पास एक कुत्ता था। वे उससे हिंदी नहीं बोलते थे ।अंग्रेजी में आदेश देते थे - कम , गो, यस, नो , स्टैंड, सिट। वे गुस्सा ना बोल कर चलते थे । उन्हें लगता...

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काली पुतली  By Alok Mishra

काली पुतली ये गाँव से विकसित होता छोटा सा कस्बा था । इस शहर में कुछ सड़कें ऐसी भी थी जिन पर रातों को लोग जाने से कतराते थे । आज मै जहाँ हूँ वहाँ से ही कभी शहर का वीराना प्रा...

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लोटन का शौचालय ( व्यंग्य ) By Alok Mishra

लोटन का शौचालय एक गाँव में एक बुजुर्ग रहते थे, नाम था लोटनलाल। पहले उनका भरा-पूरा परिवार था। फिर धीरे-धीरे सब साथ छोड़ते गए, कुछ मौत के कारण और कुछ लोग शहर की ओर दौड़ के क...

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सेवा-भाव की अपनी-अपनी सोच By r k lal

सेवा-भाव की अपनी-अपनी सोच आर० के० लाल पार्क में एक शाम बैठे कई बुजुर्ग समाजसेवा करने की बात पर ज़ोर दे रहे थे परंतु उनमे से दो चार लोग कह रहे थे कि उनका अनुभव अच्छा न...

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सब्जी बाजार By Alok Mishra

सब्जी बाजार हम सामाजिक रुप से बहुत ही समृद्ध होते जा रहे है । अब हमारी सामाजिक समृद्धता चाय-पान के ठेलों ढाबों और सब्जी बाजारों में दिखार्इ देती है। सामान्यत: मध्यमवर्गीय व्...

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मैं नेता बनुंगा By Alok Mishra

मैं नेता बनुंगा आज तो मैं भौचक्का ही रह गया । उसने बस इतना ही कहा ‘‘ सर मैं नेता बनना चाहता हुॅ । ’’ सच कहुॅ तो शिक्षा विभाग में मेरा थट्टी ईयर का एक्सपीरियन्स धरा का ध...

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लाल  - हरी लाईट By Alok Mishra

लाल - हरी लाईट हम तो ठहरे छोटे से कस्बे में रहने वाले छोटे से आदमी । जब हमारे कस्बे में कोई कालेज खुल जाये , कोई अस्पताल दस से बीस बिस्तर का हो जाए या किसी चौक पर किसी...

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तबादलोत्सव By Anand M Mishra

उत्सव का नाम बहुत सुना था। देखा था। भाग लिया था। रंगोत्सव, फागोत्सव, दीपोत्सव, नववर्ष उत्सव। बीच-बीच में महोत्सव भी देखता-सुनता था। लेकिन यहाँ चर्चा “तबादलोत्सव” की कर रहे हैं। यह...

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छोटा सट्टा-बड़ा सट्टा By Alok Mishra

छोटा सट्टा-बड़ा सट्टा एक छोटे से चाय के टपरे के पास खड़े एक आदमी को एक बच्चा पैसे देकर ‘‘ओपन और क्लोज लगाने’’ के लिए कहता है । बस दूसरे दिन वो बच्चा किसी अखबार के कोने में अलग...

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एक जानवर का सच (व्यंग्य) By Alok Mishra

 एक जानवर का सच  एक सर्वे के अनुसार इन्टरनेट और मोबाइल के कारण अपराध और परिवारों का टूटना बढ़ा है इसके पीछे क्या कारण हो सकते है ? इसे जानने के लिए कृपा करके आप...

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पाक स्थान (व्यंग्य) By Alok Mishra

पाक स्थान (व्यंग्य) आपने शीर्षक तो ध्यान से पढा है न ? यहाँ हम अपने उस पडोसी की बात नहीं कर रहे है जिसे लाख कोशिशों के बाद भी हम बदल नही सके । हमारा पडोसी पाकिस्तान हमे...

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भगवान फॅस गए.....( व्यंग्य) By Alok Mishra

भगवान फॅस गए..... हमारे रामलाल जी हमेशा ही परेशानियों में रहते है । कुछ लोगों कहते है कि उनका और परेशानियों का चोली-दामन का साथ है तो कुछ लोग रामलाल को पैदायशी परेशान आदमी मा...

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किरदारों की दुकान ( व्यंग्य ) By Alok Mishra

किरदारों की दुकान अमा यार ................. आप क्या सोचने लगे, ज्यादा ना सोचो, सोचने से लोगों का सिर दुखने लगता है और फिर ........... आपका ये नाचिज खिजमतदार आखिर किस दिन...

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आज मतगणना है.......(व्यंग्य) By Alok Mishra

आज मतगणना है....... आजकल एक हंगामा सा बरपा है । पिछले कुछ दिनों से जिसे देखिए एक ही बात करता है और बात है .... चुनाव की । चुनाव की घोषणा के साथ ही आचार संहिता में प्रशासकीय...

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आत्‍मसम्‍मान By rajendra shrivastava

कहानी--- आत्‍मसम्‍मान राजेन्‍द्र कुमार श्रीवास्‍तव,...

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जूता पुराण  By Alok Mishra

जूता पुराण आज खबरों में रोज ही जूतों की महिमा का गुणगान हो रहा है । जहाॅ देखिए वहीं निर्भीक भाव से जूते चलाए जा रहे है । जूते खाने वाले अक्सर ही ऐसे लोग होते...

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सियासत के हवाले से By Satyadeep Trivedi

सियासत के हवाले सेजिस प्रकार आत्मा मरती नहीं है, केवल पुराने शरीर को छोड़कर नये शरीर में प्रवेश कर जाती है। ठीक वैसे ही नेता भी नहीं मरता है। वो पुरानी पार्टी को छोड़कर नयी पार्टी मे...

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आभार (व्यंग्य ) By Alok Mishra

आभार (व्यंग्य ) हमारे यहाॅ कोई भी मंचीय कार्यक्रम हो बहुत ही पारंपरिक तरीके से ही होता है । पूरे कार्यक्रम के पश्चात् जब लोग उठ कर जाने लगते है, अतिथी अपना स्थान छोड़ कर स्व...

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स्वयम्की (व्यंग्य ) By Alok Mishra

स्वयम्की ( व्यंग्य ) आप सोच रहे होंगे मुझे ‘‘स्वयम् की’’ लिखना चाहिये था। लेकिन नहीं सहाब मैं ‘‘स्वयम्की’’ ही लिखना चाहता था और वही लिखा है। अब आजकल जमाना बद...

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परिचय या पहचान पत्र (व्यंग्य) By Alok Mishra

परिचय या पहचान पत्र एक दिन बेचारे शर्मा जी से हमारी मुलाकत एक चैराहे पर हो गई। बेचारे वो... और उनकी बेचारगी का कारण यह है कि वे इस युग में भी सभी काम नियमानुसार करने पर...

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प्रवक्ता जी By Alok Mishra

प्रवक्ता जी हाँ तो साहब बात को प्रारम्भ से ही प्रारम्भ करते है , हम आप से पूछना चाहते है कि क्या आप सखाराम को जानते है ? हमने इतना कठिन प्रश्न तो नहींं पूछा ...... अरे....

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R का बटन By Amulya Sharma

गांव में उत्साह का माहौल था क्योकि मेरे गांव में फोन लगने वाला था और यह बहुत ही बड़ी बात थी। गांव में बहुत सालों से फोन की सुविधा उपलब्ध नहीं थी और सभी गांव वालों को किसी बाहरी व्य...

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गधादेश का मंत्रीमण्‍ड़ल By Alok Mishra

गधादेश का मंत्रीमण्‍ड़ल गधादेश में अभी-अभी चुनाव हुआ है । जैसा की आप तो जाते ही है, आज कल अल्‍पमत सरकारों का जमाना है । इसी से पता चलता है कि जनता को किसी पर भी भरोसा नहीं है...

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सेब क्यों गिरा By Alok Mishra

सेब क्यों गिरा एक दिन मैं यूॅ ही स्कूल के गलियारे में टहल रहा था । छुट्टी का समय होने के कारण छात्र-छात्राएँ भी कक्षाओं से बाहर यहाॅं-वहाॅं टहल रहे थे । एक कक्षा में बैठे...

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क्यों लिखूं....? By Alok Mishra

क्यों लिखूं....? आपका ये नाचीज कभी-कभार अपने मन की बात लिखकर आप तक पहुंचा कर अपने मन के बोझ को कम करता रहता है, इस लिखने के चक्कर में कभी प्रशंसा मिली तो कभी आलोचना, कभ...

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चोलबे ना - 9 - इज्जतदार लेखक By Rajeev Upadhyay

लेखक नामक प्रजाति के सदस्य अक्सर अकादमियों और मंत्रालय के अधिकारियों को कोसते रहते हैं। ये उनकी स्पष्ट राय है कि ये अधिकारी लेखकों को उनके जीते-जी सम्मान नहीं देते हैं। ये अधिकार...

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रामलाल का सन्यास By Alok Mishra

रामलाल का सन्यास अभी -अभी प्राप्त समाचार के अनुसार रामलाल जी ने राजनीति से सन्यास लेने की घोषणा कर दी है । रामलाल जी को तो आप जानते ही है । ये वे ही रामलाल है जिन्होंने अप...

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कस्बे का आई.सी.यू. By Alok Mishra

कस्बे का आई.सी.यू. ये एक छोटा सा कस्बा है । इस कस्बे में एक सरकारी अस्पताल भी है । जहॉं कुछ डॅ़ाक्टर केवल इसलिए आ जाया करते है कि उनकी तनख्वाह के साथ-साथ घरेलू दवाखाना भी...

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पंछी उवाच By Alok Mishra

पंछी उवाच ये जंगल बहुत ही अच्छा और सुंदर था । कल-कल करती नदियॉ , हरे-भरे पेड़ों से लदे पहाड़ और जानवरों की बहुतायत । हम जानवरों को सब कुछ इसी जंगल से ही मि...

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पुतला (व्यंग्य ) By Alok Mishra

‘‘पुतला’’ मैं पुतला हूँ। यदि आप न समझें हो तो मैं वही पुतला हूँ, जो दशहरे में रावण के रूप में और होली में होलिका के रूप में अनेक वर्षों से जलता रहा हूँ। मेरे अंगों के रूप में...

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गरीबी और गरीब ( व्यंग्य ) By Alok Mishra

गरीबी और गरीब ( व्यंग्य ) गरीबी और मंहगाई दो बहनें आजादी के मेले में एक दूसरे का हाथ पकड़े भारत के पीछे-पीछे लग गई । तब से लेकर आज तक इन दोनों ने ही देश की राजनीति और चुनावों...

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सत्य मोहे न सोहते ( व्यंग्य ) By Alok Mishra

सत्य मोहे न सोहते ( व्यंग्य ) बचपन से एक ही पाठ पढ़ा है ‘‘सत्य बोलो’’ क्योंकि ‘‘सत्यमेव जयते।’’ सत्य की विजय को लेकर अनेकों काल्पनिक कहानिया‌ॅ बचपन से केवल इसलिए स...

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व्हीप......व्हीप......व्हीप.... (व्यंग्य) By Alok Mishra

व्हीप......व्हीप......व्हीप.... ‘‘आज के समाचार यह है कि राम प्रसाद जो कि गधा पार्टी के नेता हैं, से सुअर पार्टी पर प्रहार करते हुये व्हीप.......व्हीप.......व्हीप कहा। इसके...

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होली का दिन ( होली स्पेशल) By RACHNA ROY

दीपू होली के पहले दिन ही पापा के साथ जाकर तरह-तरह के रंग, पिचकारी, गुब्बारे सब कुछ खरीद कर ले आया।दीपू होली के पहले दिन ही पापा के साथ जाकर तरह-तरह के रंग, पिचकारी, गुब्बारे सब कुछ...

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यमराज का आगमन By Alok Mishra

यमराज का आगमन अचानक एक धमाकेदार खबर सुर्खियाॅ बन गई । बनती भी क्यों न , खबर ही ऐसी थी । खबर आई कि यमदूत आने वाले है । बस , सब तरफ कोहराम मच गया । यमदूत कब आते है और कब चले जाते...

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होली कब है ? By Alok Mishra

होली कब है ? रामलाल एक दिन बाजार में मिल गए । बाताे - बातों में वे बोले ''होली कब है ? हम सोचने लगे कि ये तो ठहरे पुलिस वाले इन्हें कोर्इ रामगढ -वामगढ तो लूटना है न...

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उपवास कैसे रखें ....  (व्यंग्य) By Alok Mishra

उपवास कैसे रखें ...... व्यंग्य अब साहब आपके ये दिन आ गए कि कोई मुझ जैसा अदना सा व्यक्ति आपको यह बताए कि उपवास कैसे रखें ? बात बिलकुल भी वैसी नहीं है जैसी आप समझ रहें ह...

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दावत-अदावत (व्यंग्य ) By Alok Mishra

दावत-अदावत (व्यंग्य ) दावत शब्द सुनते ही लज़ीज पकवानों के की महक से मुंह में पानी आना स्वाभाविक ही है । शादी - ब्याह हो , जन्म दिवस या कोई और ही दिवस बिना दावत के सब अधूरा...

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बिना मुद्दे की बकवास (व्यंग्य) By Alok Mishra

बिना मुद्दे की बकवास ( व्यंग्य) नमस्ते ....आदाब....सत्तश्रीअकाल....आज फिर शाम के छः बज रहे है और मैं खवीश हाजिर हुँ बिना मुद्दे की बकवास के साथ । आप को बता दें कि यही एक शो...

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धंधा मारा जाएगा By Kishanlal Sharma

इक्कीसवीं सदी साइंस का जमाना।शिक्षा के प्रसार के साथ लोगो का ज्ञान बढ़ा है।लोग जागरूक हुए है और उनमें समझदारी आयी है।पहलेकी तरह लोग अज्ञानी और कूप मण्डूक नही रहे।सोशल मीडिया ने क्रा...

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मेरी कीमत क्या है ? (व्यंग्य) By Alok Mishra

मेरी कीमत क्या है ? (व्यंग्य) हम ठहरे एक आम आदमी ........नहीं ... नहीं , जनता..... अरे......नहीं...... फिर राजनैतिक हो गया । खैर आप तो समझ ही गए है कि हम और आप एक जैसे...

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How are you, Mr. Khiladi ? By BRIJESH PREM GOPINATH

देर रात शिफ्ट पूरी कर घर पहुंचा तो हालत देखकर भौंचक्का रह गया.ऐसा लगा मानो भूकंप आया हो.एक जूता बाथरूम के पास तो दूसरा किचन के दरवाज़े पर,अख़बार के टुकड़े बिखरे हुए,मैं हैरान कमरे...

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पांडे जी की सायकिल (व्यंग्य कथा) By Alok Mishra

पांडे जी की सायकिल (व्यंग्य कथा) अब साहब आपका पूछना जायज ही होगा कि पांडे जी कौन ? आपने पूछ ही लिया है तो हम बताएं देते है। पांडे जी हमारे शहर की कोई नामचीन हस्ती तो है नहीं।...

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कलयुग में भगवान By Kishanlal Sharma

"नारायण नारायण---घोर कलयुग है"क्या हुआ नारद,"भगवान विष्णु, नारद को देेेखते ही बोले," चितित नज़र आ रहेे हो।कहाँ से आ रहे हो?"प्रभु भूलोक में गया था।पूरी पृथ्वी का भृमण करके आ रहा...

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बुरा तो मानों .... होली है ( व्यंग्य ) By Alok Mishra

बुरा तो मानों...... होली है ( व्यंग्य) लो साहब होली आ गई । सब ओर नारा लगने लगा ‘ बुरा न मानो .... होली है । वैसे भी हम भारतियों की परंपरा रही है कि होली हो या न हो हम बुरा नहीं...

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अंग्रेजी में बैठना कुत्ते का By कृष्ण विहारी लाल पांडेय

मैं काफी मॉडर्न थे। इस लिए उनके पास एक कुत्ता था। वे उससे हिंदी नहीं बोलते थे ।अंग्रेजी में आदेश देते थे - कम , गो, यस, नो , स्टैंड, सिट। वे गुस्सा ना बोल कर चलते थे । उन्हें लगता...

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काली पुतली  By Alok Mishra

काली पुतली ये गाँव से विकसित होता छोटा सा कस्बा था । इस शहर में कुछ सड़कें ऐसी भी थी जिन पर रातों को लोग जाने से कतराते थे । आज मै जहाँ हूँ वहाँ से ही कभी शहर का वीराना प्रा...

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लोटन का शौचालय ( व्यंग्य ) By Alok Mishra

लोटन का शौचालय एक गाँव में एक बुजुर्ग रहते थे, नाम था लोटनलाल। पहले उनका भरा-पूरा परिवार था। फिर धीरे-धीरे सब साथ छोड़ते गए, कुछ मौत के कारण और कुछ लोग शहर की ओर दौड़ के क...

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सेवा-भाव की अपनी-अपनी सोच By r k lal

सेवा-भाव की अपनी-अपनी सोच आर० के० लाल पार्क में एक शाम बैठे कई बुजुर्ग समाजसेवा करने की बात पर ज़ोर दे रहे थे परंतु उनमे से दो चार लोग कह रहे थे कि उनका अनुभव अच्छा न...

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सब्जी बाजार By Alok Mishra

सब्जी बाजार हम सामाजिक रुप से बहुत ही समृद्ध होते जा रहे है । अब हमारी सामाजिक समृद्धता चाय-पान के ठेलों ढाबों और सब्जी बाजारों में दिखार्इ देती है। सामान्यत: मध्यमवर्गीय व्...

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