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Stories and books have been a fundamental part of human culture since the dawn of civilization, acting as a powerful tool for communication, education, and entertainment. Whether told around a campfire, written in ancient texts, or shared through modern media, Book Reviews in hindi books and stories have the unique ability to transcend time and space, connecting people across generations and cultu...Read More


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और प्राण- बन्नी रुबेन (अजीत बच्छावत- अनुवाद) By राजीव तनेजा

किसी भी फ़िल्म में नायक के व्यक्तित्व को उभारने में खलनायक की भूमिका का बड़ा हाथ होता है। जितना बड़ा..ताकतवर खलनायक होगा, उतनी ही उसे हराने पर..पीटने पर..नायक के लिए तालियाँ बजती हैं।...

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अनमेल विवाह और प्रेमचंद By Ranjana Jaiswal

अनमेल विवाह और प्रेमचंदस्त्री विमर्श के इस दौर में स्त्री की इच्छा ,भावना,कल्पना और कार्यदक्षता के साथ ही उसकी यौनिकता[व्यापक अर्थ में जीवनेच्छा]पर भी विचार -विमर्श किया जाता है|स्...

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मैंने गांधीजी को क्यों मारा? By Sangeeta Choudhary

गोडसे का पूरा बयानएक धार्मिक ब्राह्मण परिवार में जन्म लेने के कारण मैं हिन्दू धर्म, हिन्दू इतिहास और हिन्दू संस्कृति की पूजा करता हूं. इसलिए मैं सम्पूर्ण हिन्दुत्व पर गर्व करता हूं...

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काव्या कटारे का संग्रह काली लड़की By राजनारायण बोहरे

पिछले दिनों व्हाट्सएप के एक साहित्यिक ग्रुप पर कहानीकार के बिना नाम के पोस्ट की गई कहानी "काली लड़की" पढ़कर मुझ जैसे पढ़ाकू को अहसास हुआ कि इस कहानी में किसी परिपक्व सांवली लड़की न...

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मुंबई मोर्निंग्स- पूनम ए चावला (अनुवाद- आनंद कृष्ण) By राजीव तनेजा

ऊपरी तौर पर मानव बेशक़ खुद को जितना भी प्रगतिशील.. सभ्य समझता..मानता एवं दर्शाता रहे लेकिन अगर ध्यान से देखा.. सोचा एवं समझा जाए तो हम इन्सानों और जानवरों में दिमाग़ के अलावा रत्ती भ...

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कांता रॉय-अस्तित्व की यात्रा By राजनारायण बोहरे

कांता रॉय-अस्तित्व की यात्रासमीक्षापुस्तक पखवाड़े के इस मंच पर श्री अशोक भाटिया जी और बलराम अग्रवाल,जिजी व बी एल आच्छा जिजी जैसे लघुकथा के सुधी विचारक और शास्त्रीय समीक्षक बल्कि लघ...

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वहां लाल गुलाब नहीं थे By Neelam Kulshreshtha

मौत और मौत के आसपास - ‘वहां लाल गुलाब नहीं थे’ डॉ. [श्रीमती] विजय शर्मा, जमशेदपुर मौत के कई कारण हो सकते हैं। उम्र, हारी-बीमारी, दुर्घटना, हत्या-आत्महत्या। मगर सबसे दु:...

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महिला चटपटी बतकहियां By Neelam Kulshreshtha

शिखर चंद जैन, कोलकत्ता गुजरात की जानीमानी पत्रकार नीलम कुलश्रेष्ठ का यह व्यंग्य संग्रह अपने नाम के मुताबिक ही महिलाओं की गप्प गोष्ठी से निकली बातों को आधार बना कर लिखा गया है। किसी...

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अम्बपाली(एक उत्तरगाथा)- गीताश्री By राजीव तनेजा

बचपन में एक समय ऐसा भी था जब मैं फंतासी चरित्रों एवं राजा महाराजाओं की काल्पनिक कहानियों से लैस बॉलीवुडीय फिल्मों का दीवाना हुआ करता था। कुछ बड़ा हुआ तो दिमाग़ ने तार्किक ढंग से सोचन...

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मैं पाकिस्तान में भारत का जासूस था- मोहनलाल भास्कर By राजीव तनेजा

किसी भी देश की सुरक्षा के लिए यह बेहद ज़रूरी हो जाता है कि सेना के साथ साथ उसकी गुप्तचर संस्थाएँ और देश विदेश में फैला उनका नेटवर्क भी एकदम चुस्त..दुरुस्त और चाकचौबंद हो। जो आने वाल...

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स्त्री भावनाओं को मूर्त करते अनूठे प्रतीक By Neelam Kulshreshtha

[ गुजरात की व कुछ अन्य कवयित्रियों का काव्य संग्रह ] डॉ. रेनू यादव घर घर होता है फिर भी स्त्रियों के लिए घर एक सपना क्यों होता है ? क्यों उसे अपने ही घर की देहरी लाँघने की जरूरत पड...

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धर्म की बेड़ियाँ खोल रही है औरत - खण्ड 2 By Neelam Kulshreshtha

- साहस भरा सार्थक प्रयास सुषमा मुनीन्द्र सुपरिचित रचनाकार नीलम कुलश्रेष्ठ के साहस, श्रम, जोखिम वृत्ति, एकाग्रता को धन्यवाद देना चाहिये कि इन्होंने धर्म जैसे सर्वाधिक संवेदनशील मसले...

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कुछ अनकहा सा- कुसुम पालीवाल By राजीव तनेजा

जब भी कभी किसी लेखक या कवि को अपनी बात को ज़्यादा से ज़्यादा लोगों के सामने व्यक्त करना होता है तो वह अपनी जरूरत..काबिलियत एवं साहूलियात के हिसाब से गद्य या पद्य..किसी भी शैली का चुन...

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हैशटैग- सुबोध भारतीय By राजीव तनेजा

आमतौर पर जब भी किसी कहानी या उपन्यास में मुझे थोड़े अलग विषय के साथ एक उत्सुकता जगाती कहानी, जिसका ट्रीटमेंट भी आम कहानियों से थोड़ा अलग हट कर हो, पढ़ने को मिल जाता है तो समझिए कि मेर...

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वह जो नहीं कहा - समीक्षा By Sneh Goswami

वह जो नहीं कहा सीख नसीहत और प्रेरणा से भरपूर है – वह जो नहीं कहा लघुकथा संग्रह श्रीमती स्नेह गोस्वामी का लघुकथा संग्रह वह जो नहीं कहा अभी अभी 2018 में प्रकाशित हुआ है। सबसे बङ...

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गार्गी के प्रश्न और याज्ञवल्क्य का तमतमाया चेहरा By Neelam Kulshreshtha

डॉ. बी. बालाजी, हैदराबाद यह उदाहरण नीलम कुलश्रेष्ठ के सम्पादन सद्यः प्रकाशित ‘धर्म के आर-पार औरत’ (2010) की भूमिका का एक छोटा-सा अंश है --"लगभग दो वर्ष पूर्व भोपाल की प...

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हँसी की एक डोज़- इब्राहीम अल्वी By राजीव तनेजा

कई बार कुछ कवि मित्र मुझसे अपनी कविताओं के संग्रह को पढ़ने का आग्रह करते हैं मगर मुझे लगता है कि मुझमें कविता के बिंबों..सही संदर्भों एवं मायनों को समझने की पूरी समझ नहीं है। इसलिए...

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चाकू खटकेदार है अब-रामअवध विष्वकर्मा By ramgopal bhavuk

चाकू खटकेदार है अब हाथ में लेकर तो देखो रामगोपाल भावुक रामअवध विष्वकर्मा क...

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जगीरा- सुभाष वर्मा By राजीव तनेजा

ज्यों ज्यों तकनीक के विकास के साथ सब कुछ ऑनलाइन और मशीनी होता जा रहा है। त्यों त्यों इज़ी मनी चाहने वालों की भी पौबारह होती जा रही है। ना सामने आ..किसी की आँख में धूल झोंक, सब कुछ ल...

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मेरी लघुकथाएं - मधुदीप गुप्ता By राजीव तनेजा

आमतौर पर अपने भावों को अभिव्यक्त करने के लिए हम सब एक दूसरे से बोल..बतिया कर अपने मन का बोझ हल्का कर लिया करते हैं। मगर जब अपने मनोभावों को अभिव्यक्त करने और उन्हें अधिक से अधिक लो...

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धर्मयुद्ध- पवन जैन By राजीव तनेजा

70-80 के दशक की अगर बॉलीवुड की फिल्मों पर नज़र दौड़ाएँ तो हम पाते हैं कि उनमें जहाँ एक तरफ़ मंदिर की सीढ़ियों पर अनाथ बच्चे का मिलना, प्रेम..त्याग..ममता..धोखे..छल प्रपंच..बलात्कार इत्य...

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धर्म की बेड़ियाँ खोल रही है औरत By Neelam Kulshreshtha

निर्झरी मेहता, वड़ोदरा श्रीमती नीलम कुलश्रेष्ठ द्वारा संपादित इस किताब का शीर्षक, जो कि थोड़ा-सा लंबा महसूस हो सकता है लेकिन यह पुस्तक एक विभावना विशेष की लौ से आलोकित विशिष्ट अनुभू...

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औपनिवेशिक मानसिकता भारत के विकास में चुनौती - 2 By KHEMENDRA SINGH

औपनिवेशिक मानसिकता भारत के विकास में चुनौती -1 की सफलता के बाद मैं आपके लिए लाया हूं मेरे द्वारा लिखी गई पुस्तक "Is Colonial Mindset : Hampering India's Devlopment" पुस...

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सूर्यपालसिंह ग्रन्थावली - समीक्षा By बेदराम प्रजापति "मनमस्त"

पुस्तक (समीक्षा) सूर्यपालसिंह ग्रन्थावली भाग-1 प्रथम संस्करण 2021 पूर्वापर प्रकाशन निकट प्रधान डाकघर,लाहिडीपुरम- सिविल लाईन गौण्डा उ.प्र. ‘समीक्षा की अपनी धरत...

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बीसवीं सदी की चर्चित हास्य रचनाएं- सुभाष चंदर (संपादन) By राजीव तनेजा

अगर तथाकथित जुमलेबाज़ी..लफ़्फ़ाज़ी या फिर चुटकुलों इत्यादि के उम्दा/फूहड़ प्रस्तुतिकरण को छोड़ दिया जाए तोवअमूमन कहा जाता है कि किसी को हँसाना या हास्य रचना आम संजीदा या दुख भरी रचनाओं क...

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स्त्री चेतना की साहसिक कहानियां By Neelam Kulshreshtha

स्त्री चेतना की साहसिक कहानियां कलावंती, राँची नीलम कुलश्रेष्ठ के तृतीय कहानी संग्रह की 'चाँद आज भी बहूत दूर है 'में, स्त्री के मन की जाने अनजाने परतों को बहुत ही संवेदनशील...

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स्त्री पराधीनता की अभिव्यक्ति - (समीक्षा) By Ranjana Jaiswal

रंजना जायसवाल की कविताओं में स्त्री- पराधीनता की अभिव्यक्ति----शोध छात्रा-क्षमा रंजना जायसवाल का नाम आज के स्त्री लेखन में बड़ी तेजी से उभरकर आया है। रंजना स्त्री के मन के अंदर झांक...

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प्रेमचंद (समीक्षा) By shivani singh

"न्याय और नीति सब लक्ष्मी के ही खिलौने हैं वह जैसे चाहे नचाती है।"कोई भी साहित्यकार युगीन परिस्थितियों से निश्चित रूप से प्रभावित होता है ,लेकिन उसके व्यक्तिगत जीवन की घटनाएं भ...

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कुछ उलझे, कुछ सुलझे स्त्री जीवन By Neelam Kulshreshtha

नीलम कुलश्रेष्ठ को हिंदी साहित्य की एक सशक्त स्त्री विमर्श लेखिका का माना जाता है। उनकी स्त्री विमर्श पुस्तकों में अलग हटकर ऐसा क्या है ? के लिए 'स्त्री पीढ़ा के शोध की रिले रेस...

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तेरी मेरी कहानी है - अतुल प्रभा By राजीव तनेजा

वैश्विक महामारी कोरोना के आने के बाद मेरे ख्याल से दुनिया का एक भी शख्स ऐसा नहीं होगा जो इससे किसी ना किसी रूप में प्रभावित ना हुआ हो। सैनिटाइज़र, मास्क के अतिरिक्त हाइजीन को ले कर...

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स्त्री है प्रकृति - (समीक्षा) By Ranjana Jaiswal

स्त्री’ का ‘प्रकृति’ होना राहुल शर्मास्त्री और प्रकृति एक दूसरे के पूरक है। इनका सामंजस्य ठीक वैसा ही है ज...

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पुकारा है ज़िन्दगी को कई बार- लतिका बत्रा By राजीव तनेजा

अपने दुःख.. अपनी तकलीफ़..अपने अवसाद और निराशा से भरे क्षणों को बार बार याद करना यकीनन बहुत दुखदायी होता है। जो हमें उसी दुख..उसी कष्ट को फिर से झेलने..महसूस करने के लिए एक तरह से मज...

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दर-परत-दर स्त्रीः वैदिक युग से वर्तमान तक By Neelam Kulshreshtha

दर-परत-दर स्त्रीः वैदिक युग से वर्तमान तक पूर्णिमा मित्र, बीकानेर स्त्री-विमर्श जैसे विवादास्पद व दुसह विषय की, जिन लेखिकाओं ने आम पाठकों तक पहुँचाने का चुनौतीपूर्ण कार्य किया...

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अपने पैरों पर- भवतोष पाण्डेय By राजीव तनेजा

कायदे से अगर देखा जाए तो अपने नागरिकों से टैक्स लेने की एवज में देश की सरकार का यह दायित्व बन जाता है कि वह देश के नागरिकों के भले के लिए काम करते हुए उसे अच्छी कानून व्यवस्था के स...

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दर्द माँजता है- रणविजय By राजीव तनेजा

अमूमन जब भी हम किसी नए या पुराने लेखक का कोई कहानी संकलन पढ़ते हैं तो पाते हैं कि लेखक ने अपनी कहानियों के गुलदस्ते में लगभग एक ही तरह के मिज़ाज़..मूड..स्टाइल और टोन को अपनी कहानियों...

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तुम यौवन की अग्निशिखा हो, तुम हो लपटों की पटरानी By Neelam Kulshreshtha

डॉ. ऋषभदेव शर्मा, हैदराबाद जीवन की तनी डोरः ये स्त्रियाँ (ले. नीलम कुलश्रेष्ठ)-- ये कृति समाज में स्त्री की दशा के संबंध में सर्वेक्षणों और स्त्री-उत्थान से जुड़ी संस्थाओं से प्रत्...

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स्टेपल्ड पर्चियाँ - प्रगति गुप्ता By राजीव तनेजा

कभी अख़बारों में छपी चंद गौर करने लायक सुर्खियाँ या तमाम मीडिया चैनल्स की हैडिंग बन चुकी कुछ चुनिंदा या ख़ास ख़बरें हमारे मन मस्तिष्क में कहीं ना कहीं स्टोर हो कर अपनी जगह..अपनी पैठ ब...

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Book Review Writing contest By Ranjana Jaiswal

संवाद करती परछाइयाँ –बालेश्वर सिंहरंजना जायसवाल के कविता –संग्रह ;मछलियाँ देखती हैं सपने की समीक्षारंजना जायसवाल के प्रथम काव्य –संग्रह के बारे में परमानंद श्रीवास्तव ने फ्लैप पर...

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वर्जिन मदर- संतोष कुमार By राजीव तनेजा

80 दशक के अंतिम सालों जैसी एक बॉलीवुड सरीखी कहानी जिसमें रेखा, जितेंद्र, राखी, बिंदु, उत्पल दत्त, चंकी पाण्डेय, गुलशन ग्रोवर इत्यादि जैसे अनेकों जाने पहचाने बिकाऊ स्टार हों और कहान...

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एकलव्य लेखनीय निष्ठा अप्रतिम-मिथिला प्रसाद त्रिपाठी By ramgopal bhavuk

हिन्दू समाज को टूटने से रोकने में उपन्यास एकलव्य मिथिला प्रसाद त्रिपाठी निदेशक कालीदास संस्कृत अकादमी म.प्र. संस्कृति परिषद, उज्जैन दिनांक-9.4 .20.07 प्रिय भावुक जी आप से ली हुई पु...

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कहानियाँ रचती रही, यात्रा भी चलती रही By Neelam Kulshreshtha

डॉ. दयाशंकर त्रिपाठी ‘गंगटोक का एक भीगा-भीगा दिन’ नीलम कुलश्रेष्ठ का चौथा चर्चित कहानी संग्रह है । इसमें कुल नौ कहानियाँ शामिल हैं । एक कहानी तो वही है जिस पर कहानी संग...

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Book Review Writing contest By Ranjana Jaiswal

प्रार्थना से बाहर और अन्य कहानियां(लेखक--गीता श्री)समीक्षक-रंजना जायसवालस्त्री की आजादी -एक यक्ष प्रश्नकिसी स्त्री को एक रिश्ते से आजाद होने में कितना वक्त लगता है ?कितने फैक्टर का...

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गुलाबी नदी की मछलियाँ- सिनीवाली By राजीव तनेजा

फेसबुक पर जब मैं पहले पहल आया तो खुद ब्लॉगर होने के नाते उन्हीं ब्लॉगर्स के संग दोस्ती की। समय के अंतराल के साथ इसमें बहुत से नए पुराने लेखक और कवि भी जुड़ते चले गए। उस वक्त मुझे यह...

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सरस प्रीत -सुरेश पाण्डेय सरस By ramgopal bhavuk

सरस प्रीत के रचनाकार सुरेश पाण्डेय सरस । समीक्षात्मक टिप्पणी रामगोपाल भावुक...

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विरहणी राधा -राजा मीरेन्द्रसिंह By ramgopal bhavuk

राजा मीरेन्द्रसिंह जू देव की कृति विरहणी राधा पर समीक्षात्मक पहल...

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स्त्री जीवन से गुज़रता भूमंडलीकरण -'उस महल की सरगोशियां’ By Neelam Kulshreshtha

[ महेंद्र कुमार, शोधार्थी ] इक्कीसवीं सदी के आरम्भ से ही महिला कथाकारों का मूल स्वर उभरा 'मैं जीना चाहतीं हूँ मैं भी एक मनुष्य हूँ। 'हालांकि पिछली सदी की मन्नू भंडारी की &#...

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बहेलिया विपिन कुमार शर्मा By ramgopal bhavuk

बहेलिया विपिन कुमार शर्मा प्रयोगात्मक पहल कहानी संग्रह रामगो...

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रंग लिफाफे- मनीष भार्गव By राजीव तनेजा

कई बार कुछ पढ़ते हुए अचानक नॉस्टेल्जिया के ज़रिए हम उस वक्त..उस समय..उस माहौल में पहुँच जाते हैं कि पुरानी यादें फिर से ताज़ा हो..सर उठाने को आमादा होने लगती हैं। दोस्तों..आज मैं बात...

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दुमछल्ला- निशान्त जैन By राजीव तनेजा

ऐसा नहीं है कि कोई भी व्यक्ति हमेशा अच्छा या फिर हमेशा बुरा ही हो। अपने व्यक्तिगत हितों को साधने..संवारने..सहेजने और बचा कर रखने के प्रयास में वो वक्त ज़रूरत के हिसाब से अच्छा या बु...

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और प्राण- बन्नी रुबेन (अजीत बच्छावत- अनुवाद) By राजीव तनेजा

किसी भी फ़िल्म में नायक के व्यक्तित्व को उभारने में खलनायक की भूमिका का बड़ा हाथ होता है। जितना बड़ा..ताकतवर खलनायक होगा, उतनी ही उसे हराने पर..पीटने पर..नायक के लिए तालियाँ बजती हैं।...

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अनमेल विवाह और प्रेमचंद By Ranjana Jaiswal

अनमेल विवाह और प्रेमचंदस्त्री विमर्श के इस दौर में स्त्री की इच्छा ,भावना,कल्पना और कार्यदक्षता के साथ ही उसकी यौनिकता[व्यापक अर्थ में जीवनेच्छा]पर भी विचार -विमर्श किया जाता है|स्...

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मैंने गांधीजी को क्यों मारा? By Sangeeta Choudhary

गोडसे का पूरा बयानएक धार्मिक ब्राह्मण परिवार में जन्म लेने के कारण मैं हिन्दू धर्म, हिन्दू इतिहास और हिन्दू संस्कृति की पूजा करता हूं. इसलिए मैं सम्पूर्ण हिन्दुत्व पर गर्व करता हूं...

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काव्या कटारे का संग्रह काली लड़की By राजनारायण बोहरे

पिछले दिनों व्हाट्सएप के एक साहित्यिक ग्रुप पर कहानीकार के बिना नाम के पोस्ट की गई कहानी "काली लड़की" पढ़कर मुझ जैसे पढ़ाकू को अहसास हुआ कि इस कहानी में किसी परिपक्व सांवली लड़की न...

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मुंबई मोर्निंग्स- पूनम ए चावला (अनुवाद- आनंद कृष्ण) By राजीव तनेजा

ऊपरी तौर पर मानव बेशक़ खुद को जितना भी प्रगतिशील.. सभ्य समझता..मानता एवं दर्शाता रहे लेकिन अगर ध्यान से देखा.. सोचा एवं समझा जाए तो हम इन्सानों और जानवरों में दिमाग़ के अलावा रत्ती भ...

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कांता रॉय-अस्तित्व की यात्रा By राजनारायण बोहरे

कांता रॉय-अस्तित्व की यात्रासमीक्षापुस्तक पखवाड़े के इस मंच पर श्री अशोक भाटिया जी और बलराम अग्रवाल,जिजी व बी एल आच्छा जिजी जैसे लघुकथा के सुधी विचारक और शास्त्रीय समीक्षक बल्कि लघ...

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वहां लाल गुलाब नहीं थे By Neelam Kulshreshtha

मौत और मौत के आसपास - ‘वहां लाल गुलाब नहीं थे’ डॉ. [श्रीमती] विजय शर्मा, जमशेदपुर मौत के कई कारण हो सकते हैं। उम्र, हारी-बीमारी, दुर्घटना, हत्या-आत्महत्या। मगर सबसे दु:...

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महिला चटपटी बतकहियां By Neelam Kulshreshtha

शिखर चंद जैन, कोलकत्ता गुजरात की जानीमानी पत्रकार नीलम कुलश्रेष्ठ का यह व्यंग्य संग्रह अपने नाम के मुताबिक ही महिलाओं की गप्प गोष्ठी से निकली बातों को आधार बना कर लिखा गया है। किसी...

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अम्बपाली(एक उत्तरगाथा)- गीताश्री By राजीव तनेजा

बचपन में एक समय ऐसा भी था जब मैं फंतासी चरित्रों एवं राजा महाराजाओं की काल्पनिक कहानियों से लैस बॉलीवुडीय फिल्मों का दीवाना हुआ करता था। कुछ बड़ा हुआ तो दिमाग़ ने तार्किक ढंग से सोचन...

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मैं पाकिस्तान में भारत का जासूस था- मोहनलाल भास्कर By राजीव तनेजा

किसी भी देश की सुरक्षा के लिए यह बेहद ज़रूरी हो जाता है कि सेना के साथ साथ उसकी गुप्तचर संस्थाएँ और देश विदेश में फैला उनका नेटवर्क भी एकदम चुस्त..दुरुस्त और चाकचौबंद हो। जो आने वाल...

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[ गुजरात की व कुछ अन्य कवयित्रियों का काव्य संग्रह ] डॉ. रेनू यादव घर घर होता है फिर भी स्त्रियों के लिए घर एक सपना क्यों होता है ? क्यों उसे अपने ही घर की देहरी लाँघने की जरूरत पड...

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धर्म की बेड़ियाँ खोल रही है औरत - खण्ड 2 By Neelam Kulshreshtha

- साहस भरा सार्थक प्रयास सुषमा मुनीन्द्र सुपरिचित रचनाकार नीलम कुलश्रेष्ठ के साहस, श्रम, जोखिम वृत्ति, एकाग्रता को धन्यवाद देना चाहिये कि इन्होंने धर्म जैसे सर्वाधिक संवेदनशील मसले...

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कुछ अनकहा सा- कुसुम पालीवाल By राजीव तनेजा

जब भी कभी किसी लेखक या कवि को अपनी बात को ज़्यादा से ज़्यादा लोगों के सामने व्यक्त करना होता है तो वह अपनी जरूरत..काबिलियत एवं साहूलियात के हिसाब से गद्य या पद्य..किसी भी शैली का चुन...

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हैशटैग- सुबोध भारतीय By राजीव तनेजा

आमतौर पर जब भी किसी कहानी या उपन्यास में मुझे थोड़े अलग विषय के साथ एक उत्सुकता जगाती कहानी, जिसका ट्रीटमेंट भी आम कहानियों से थोड़ा अलग हट कर हो, पढ़ने को मिल जाता है तो समझिए कि मेर...

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वह जो नहीं कहा - समीक्षा By Sneh Goswami

वह जो नहीं कहा सीख नसीहत और प्रेरणा से भरपूर है – वह जो नहीं कहा लघुकथा संग्रह श्रीमती स्नेह गोस्वामी का लघुकथा संग्रह वह जो नहीं कहा अभी अभी 2018 में प्रकाशित हुआ है। सबसे बङ...

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गार्गी के प्रश्न और याज्ञवल्क्य का तमतमाया चेहरा By Neelam Kulshreshtha

डॉ. बी. बालाजी, हैदराबाद यह उदाहरण नीलम कुलश्रेष्ठ के सम्पादन सद्यः प्रकाशित ‘धर्म के आर-पार औरत’ (2010) की भूमिका का एक छोटा-सा अंश है --"लगभग दो वर्ष पूर्व भोपाल की प...

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हँसी की एक डोज़- इब्राहीम अल्वी By राजीव तनेजा

कई बार कुछ कवि मित्र मुझसे अपनी कविताओं के संग्रह को पढ़ने का आग्रह करते हैं मगर मुझे लगता है कि मुझमें कविता के बिंबों..सही संदर्भों एवं मायनों को समझने की पूरी समझ नहीं है। इसलिए...

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चाकू खटकेदार है अब-रामअवध विष्वकर्मा By ramgopal bhavuk

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ज्यों ज्यों तकनीक के विकास के साथ सब कुछ ऑनलाइन और मशीनी होता जा रहा है। त्यों त्यों इज़ी मनी चाहने वालों की भी पौबारह होती जा रही है। ना सामने आ..किसी की आँख में धूल झोंक, सब कुछ ल...

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मेरी लघुकथाएं - मधुदीप गुप्ता By राजीव तनेजा

आमतौर पर अपने भावों को अभिव्यक्त करने के लिए हम सब एक दूसरे से बोल..बतिया कर अपने मन का बोझ हल्का कर लिया करते हैं। मगर जब अपने मनोभावों को अभिव्यक्त करने और उन्हें अधिक से अधिक लो...

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धर्मयुद्ध- पवन जैन By राजीव तनेजा

70-80 के दशक की अगर बॉलीवुड की फिल्मों पर नज़र दौड़ाएँ तो हम पाते हैं कि उनमें जहाँ एक तरफ़ मंदिर की सीढ़ियों पर अनाथ बच्चे का मिलना, प्रेम..त्याग..ममता..धोखे..छल प्रपंच..बलात्कार इत्य...

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धर्म की बेड़ियाँ खोल रही है औरत By Neelam Kulshreshtha

निर्झरी मेहता, वड़ोदरा श्रीमती नीलम कुलश्रेष्ठ द्वारा संपादित इस किताब का शीर्षक, जो कि थोड़ा-सा लंबा महसूस हो सकता है लेकिन यह पुस्तक एक विभावना विशेष की लौ से आलोकित विशिष्ट अनुभू...

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औपनिवेशिक मानसिकता भारत के विकास में चुनौती - 2 By KHEMENDRA SINGH

औपनिवेशिक मानसिकता भारत के विकास में चुनौती -1 की सफलता के बाद मैं आपके लिए लाया हूं मेरे द्वारा लिखी गई पुस्तक "Is Colonial Mindset : Hampering India's Devlopment" पुस...

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सूर्यपालसिंह ग्रन्थावली - समीक्षा By बेदराम प्रजापति "मनमस्त"

पुस्तक (समीक्षा) सूर्यपालसिंह ग्रन्थावली भाग-1 प्रथम संस्करण 2021 पूर्वापर प्रकाशन निकट प्रधान डाकघर,लाहिडीपुरम- सिविल लाईन गौण्डा उ.प्र. ‘समीक्षा की अपनी धरत...

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बीसवीं सदी की चर्चित हास्य रचनाएं- सुभाष चंदर (संपादन) By राजीव तनेजा

अगर तथाकथित जुमलेबाज़ी..लफ़्फ़ाज़ी या फिर चुटकुलों इत्यादि के उम्दा/फूहड़ प्रस्तुतिकरण को छोड़ दिया जाए तोवअमूमन कहा जाता है कि किसी को हँसाना या हास्य रचना आम संजीदा या दुख भरी रचनाओं क...

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स्त्री चेतना की साहसिक कहानियां By Neelam Kulshreshtha

स्त्री चेतना की साहसिक कहानियां कलावंती, राँची नीलम कुलश्रेष्ठ के तृतीय कहानी संग्रह की 'चाँद आज भी बहूत दूर है 'में, स्त्री के मन की जाने अनजाने परतों को बहुत ही संवेदनशील...

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स्त्री पराधीनता की अभिव्यक्ति - (समीक्षा) By Ranjana Jaiswal

रंजना जायसवाल की कविताओं में स्त्री- पराधीनता की अभिव्यक्ति----शोध छात्रा-क्षमा रंजना जायसवाल का नाम आज के स्त्री लेखन में बड़ी तेजी से उभरकर आया है। रंजना स्त्री के मन के अंदर झांक...

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प्रेमचंद (समीक्षा) By shivani singh

"न्याय और नीति सब लक्ष्मी के ही खिलौने हैं वह जैसे चाहे नचाती है।"कोई भी साहित्यकार युगीन परिस्थितियों से निश्चित रूप से प्रभावित होता है ,लेकिन उसके व्यक्तिगत जीवन की घटनाएं भ...

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कुछ उलझे, कुछ सुलझे स्त्री जीवन By Neelam Kulshreshtha

नीलम कुलश्रेष्ठ को हिंदी साहित्य की एक सशक्त स्त्री विमर्श लेखिका का माना जाता है। उनकी स्त्री विमर्श पुस्तकों में अलग हटकर ऐसा क्या है ? के लिए 'स्त्री पीढ़ा के शोध की रिले रेस...

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तेरी मेरी कहानी है - अतुल प्रभा By राजीव तनेजा

वैश्विक महामारी कोरोना के आने के बाद मेरे ख्याल से दुनिया का एक भी शख्स ऐसा नहीं होगा जो इससे किसी ना किसी रूप में प्रभावित ना हुआ हो। सैनिटाइज़र, मास्क के अतिरिक्त हाइजीन को ले कर...

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स्त्री है प्रकृति - (समीक्षा) By Ranjana Jaiswal

स्त्री’ का ‘प्रकृति’ होना राहुल शर्मास्त्री और प्रकृति एक दूसरे के पूरक है। इनका सामंजस्य ठीक वैसा ही है ज...

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पुकारा है ज़िन्दगी को कई बार- लतिका बत्रा By राजीव तनेजा

अपने दुःख.. अपनी तकलीफ़..अपने अवसाद और निराशा से भरे क्षणों को बार बार याद करना यकीनन बहुत दुखदायी होता है। जो हमें उसी दुख..उसी कष्ट को फिर से झेलने..महसूस करने के लिए एक तरह से मज...

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दर-परत-दर स्त्रीः वैदिक युग से वर्तमान तक By Neelam Kulshreshtha

दर-परत-दर स्त्रीः वैदिक युग से वर्तमान तक पूर्णिमा मित्र, बीकानेर स्त्री-विमर्श जैसे विवादास्पद व दुसह विषय की, जिन लेखिकाओं ने आम पाठकों तक पहुँचाने का चुनौतीपूर्ण कार्य किया...

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अपने पैरों पर- भवतोष पाण्डेय By राजीव तनेजा

कायदे से अगर देखा जाए तो अपने नागरिकों से टैक्स लेने की एवज में देश की सरकार का यह दायित्व बन जाता है कि वह देश के नागरिकों के भले के लिए काम करते हुए उसे अच्छी कानून व्यवस्था के स...

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दर्द माँजता है- रणविजय By राजीव तनेजा

अमूमन जब भी हम किसी नए या पुराने लेखक का कोई कहानी संकलन पढ़ते हैं तो पाते हैं कि लेखक ने अपनी कहानियों के गुलदस्ते में लगभग एक ही तरह के मिज़ाज़..मूड..स्टाइल और टोन को अपनी कहानियों...

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तुम यौवन की अग्निशिखा हो, तुम हो लपटों की पटरानी By Neelam Kulshreshtha

डॉ. ऋषभदेव शर्मा, हैदराबाद जीवन की तनी डोरः ये स्त्रियाँ (ले. नीलम कुलश्रेष्ठ)-- ये कृति समाज में स्त्री की दशा के संबंध में सर्वेक्षणों और स्त्री-उत्थान से जुड़ी संस्थाओं से प्रत्...

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स्टेपल्ड पर्चियाँ - प्रगति गुप्ता By राजीव तनेजा

कभी अख़बारों में छपी चंद गौर करने लायक सुर्खियाँ या तमाम मीडिया चैनल्स की हैडिंग बन चुकी कुछ चुनिंदा या ख़ास ख़बरें हमारे मन मस्तिष्क में कहीं ना कहीं स्टोर हो कर अपनी जगह..अपनी पैठ ब...

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Book Review Writing contest By Ranjana Jaiswal

संवाद करती परछाइयाँ –बालेश्वर सिंहरंजना जायसवाल के कविता –संग्रह ;मछलियाँ देखती हैं सपने की समीक्षारंजना जायसवाल के प्रथम काव्य –संग्रह के बारे में परमानंद श्रीवास्तव ने फ्लैप पर...

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वर्जिन मदर- संतोष कुमार By राजीव तनेजा

80 दशक के अंतिम सालों जैसी एक बॉलीवुड सरीखी कहानी जिसमें रेखा, जितेंद्र, राखी, बिंदु, उत्पल दत्त, चंकी पाण्डेय, गुलशन ग्रोवर इत्यादि जैसे अनेकों जाने पहचाने बिकाऊ स्टार हों और कहान...

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एकलव्य लेखनीय निष्ठा अप्रतिम-मिथिला प्रसाद त्रिपाठी By ramgopal bhavuk

हिन्दू समाज को टूटने से रोकने में उपन्यास एकलव्य मिथिला प्रसाद त्रिपाठी निदेशक कालीदास संस्कृत अकादमी म.प्र. संस्कृति परिषद, उज्जैन दिनांक-9.4 .20.07 प्रिय भावुक जी आप से ली हुई पु...

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कहानियाँ रचती रही, यात्रा भी चलती रही By Neelam Kulshreshtha

डॉ. दयाशंकर त्रिपाठी ‘गंगटोक का एक भीगा-भीगा दिन’ नीलम कुलश्रेष्ठ का चौथा चर्चित कहानी संग्रह है । इसमें कुल नौ कहानियाँ शामिल हैं । एक कहानी तो वही है जिस पर कहानी संग...

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Book Review Writing contest By Ranjana Jaiswal

प्रार्थना से बाहर और अन्य कहानियां(लेखक--गीता श्री)समीक्षक-रंजना जायसवालस्त्री की आजादी -एक यक्ष प्रश्नकिसी स्त्री को एक रिश्ते से आजाद होने में कितना वक्त लगता है ?कितने फैक्टर का...

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गुलाबी नदी की मछलियाँ- सिनीवाली By राजीव तनेजा

फेसबुक पर जब मैं पहले पहल आया तो खुद ब्लॉगर होने के नाते उन्हीं ब्लॉगर्स के संग दोस्ती की। समय के अंतराल के साथ इसमें बहुत से नए पुराने लेखक और कवि भी जुड़ते चले गए। उस वक्त मुझे यह...

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सरस प्रीत -सुरेश पाण्डेय सरस By ramgopal bhavuk

सरस प्रीत के रचनाकार सुरेश पाण्डेय सरस । समीक्षात्मक टिप्पणी रामगोपाल भावुक...

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विरहणी राधा -राजा मीरेन्द्रसिंह By ramgopal bhavuk

राजा मीरेन्द्रसिंह जू देव की कृति विरहणी राधा पर समीक्षात्मक पहल...

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स्त्री जीवन से गुज़रता भूमंडलीकरण -'उस महल की सरगोशियां’ By Neelam Kulshreshtha

[ महेंद्र कुमार, शोधार्थी ] इक्कीसवीं सदी के आरम्भ से ही महिला कथाकारों का मूल स्वर उभरा 'मैं जीना चाहतीं हूँ मैं भी एक मनुष्य हूँ। 'हालांकि पिछली सदी की मन्नू भंडारी की &#...

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बहेलिया विपिन कुमार शर्मा By ramgopal bhavuk

बहेलिया विपिन कुमार शर्मा प्रयोगात्मक पहल कहानी संग्रह रामगो...

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रंग लिफाफे- मनीष भार्गव By राजीव तनेजा

कई बार कुछ पढ़ते हुए अचानक नॉस्टेल्जिया के ज़रिए हम उस वक्त..उस समय..उस माहौल में पहुँच जाते हैं कि पुरानी यादें फिर से ताज़ा हो..सर उठाने को आमादा होने लगती हैं। दोस्तों..आज मैं बात...

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दुमछल्ला- निशान्त जैन By राजीव तनेजा

ऐसा नहीं है कि कोई भी व्यक्ति हमेशा अच्छा या फिर हमेशा बुरा ही हो। अपने व्यक्तिगत हितों को साधने..संवारने..सहेजने और बचा कर रखने के प्रयास में वो वक्त ज़रूरत के हिसाब से अच्छा या बु...

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