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Yogesh avasthi

Yogesh avasthi

@yogeshavasthi7803


जिन गलियों में रंग उड़ाते थे,
जहां बैठ दोस्तो संग महफिल जमाते थे,
वो गलियां अब खाली है।

वो घर में सबका एक साथ
बैठ तीज त्यौहार का दिन बीत जाता था,
वो आंगन अब सुने है।
धीरे धीरे सब सब पिछे छूट गया।
हो हल्ला दौर अब वो सूनी गलियां है,
और दोस्त के नाम पर मोबाइल की
आभासी गलियां बिना रंग के रंगीन।

मीठी गुजिया, खीर मलाई सब गायब सी हो गई,
कितनी जल्दी ये पीढ़ी ओरियो सिल्क की हो गई।

बच्चे कभी मनाते थे दसों दिन त्यौहार उड़ाते थे धूल,
आईआईटी नीट के चक्कर में वे भी गए सब भूल।

रसोई से आती खुशबू से प्लेट में आने तक का इन्तजार
न जाने कब हो गया जोमेटो का इन्तजार ।

शायद अब इस इंस्टा फिल्टर के दौर में वो रंग न आयेंगे
आने वाले दिनों में परिवार भी विडियो कॉल पर इकट्ठे नजर आएंगे।

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