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"શહેરો કે શહેર બંધ હે, હર જગહ નાકાબંધી હે, ઔર.... તુમ પતા નહિ કહા સે આ જાતે હો ખ્યાલો મે.!!"
Insaan ki fitrat ka yahi rona hai, Apni ho toh khansi dusro ka corona hai.
મારી જાગતી આંખો માં તું છે. મારી વાતો માં તું છે. મારી હસતા ચહેરા ની હસી તું છે. મારી આંખો ના આંસુ માં તું છે. મારા સપના માં પણ તું છે. મારા દરેક અહેસાસ માં તું જ છે. "બસ મારી સાથે તું નથી.!"
"इंसान घर बदलता है लिबास बदलता है रिश्ते बदलता है दोस्त बदलता है फिर भी वोह परेशान क्यों रहता है?" क्यू वोह खुद को नहीं बदलता। यही भूल करता रहता है, "धूल चहेरे पी थी और वोह आयेना साफ करता रहा।"
"में कल को तलाशती रही दिन भर लेकिन साम होते होते मेरा आज ही डूब गया।"
आज फिर साख से पत्ता तुटेगा। आज फिर से हवा तेज होगी। आज फिर से बादल गरजेंगे। आज फिर बिजली गिरेगी। आज फिर से दिल तुटेगा। आज फिर रात गमगीन होगी। आज फिर से तुम इश्क़ की बोली लगाओगे। आज फिर एक बार मोहब्ब्त नीलाम होगी।
"जब जाना ही था तो चाहा क्यू!?" "जब हाथ छोड़ना ही था तो हाथ थामा ही क्यू!?" "जब दिल तोड़ना ही था तो दिल लगाया ही क्यू!?" "जब साथ निभाना ही नहीं था तो वादा किया ही क्यू!?" "जब भरोसा तोड़ना ही था तो टूटे भरोसे को बांधा ही क्यू!?" " जब जाना ही था तो चाहा ही क्यू!?"
दिन कुछ ऐसे गुझारता है कि जैसे अहेसान उतारता है कोई। दिल में कुछ यूं संभालते है गम की जैसे जेवर संभालता है कोई। आइना देख कर तसल्ली हुए की हमको इस घर में जानता है कोई। दूर से ही गूंजते है सन्नाटे यू की जैसे हमको ही पुकारता है कोई।
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