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Kapil

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@writterkapilprem01
(10)

रंगीन दर्द की कहानी।

दिल के आँसुओं में छुपा है एक समंदर 🌊,
जहाँ हर लहर के पीछे है एक तन्हा सफर।
दर्द के उस साये में भी खिलते हैं फूल 🌸,
जिन्हें देख मुस्कुराते हैं मेरे कुछ धूप के पल। ☀️

खामोशी की चादर ओढ़े, मैं जज़्बात छुपाता हूँ,
हर दर्द को दिल के रंगीन रंगों से सजाता हूँ। 🎨
कभी टूटे हुए अरमानों की तरह, कभी सपनों की तरह,
ज़िन्दगी की हर सच्चाई में मैं रंग भरता हूँ। 🌈

आँखों की पलकें गवाह हैं उस अनकहे दर्द की, 👁️
जो लफ़्ज़ों से नहीं, सिर्फ़ ख़ामोशी से कह पाता हूँ। 🤐
हर धड़कन में छुपा है एक ग़म और उम्मीद का संगम, ❤️‍🩹
जैसे धूप छांव का कोई अनोखा संगम। 🌤️

यह दर्द भी है तो जिंदगी का हिस्सा है,
और रंग भी हैं जो हर शाम को खूबसूरत बनाते हैं। 🌅
खामोशी की इस दुनिया में भी,
मेरे दिल के रंग कभी फीके नहीं पड़ते हैं

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कॉमेडी कविता: "मोहल्ले का सुपरहीरो"

सुबह-सुबह निकला मैं निकट के मोहल्ले में,
जहां हर दिन होता है नज़ारा नया, ज़रा हँसी-मज़ाक का खेल।
राह चलते ही पड़ा सामने ढेर सारे झगड़े,
चप्पल उछली, और सबकी नज़रें लगी मुझ पर भड़कते।

देखा वहाँ खड़ा था शर्मा जी का कुत्ता, बड़ा शरारती,
किसी की साइकिल पर चढ़ा, जैसे हो कोई खिलाड़ी।
मुस्कुराया मैंने, कहा “ओ कुत्ते, तुझे देखकर लगता है,
तू नहीं कोई साधारण, तू तो है मोहल्ले का सुपरहीरो!”

फिर मिला बबलू, जो था मोहल्ले का बच्चा नंबर वन,
जिसने की स्कूल में पूरी क्लास को बनाया था फन।
बबलू बोला, “भाई, तेरे जूते देख, मज़ा आ गया!”
मैं हँसा और कहा, “जूते नहीं, ये स्टाइल नया लाया हूँ, बड़ा बड़ा।”

फिर आया पान वाला, बोला, “भाई, पान खा लो, ताजा-ताजा!”
मैं बोला, “भाई, आज तो दांत साफ़ करवा कर आया हूँ, ज़रा तम्बाकू मत बढ़ा।”
सब हँस पड़े, और मोहल्ला बन गया हँसी का मेला,
यहाँ हर बात में है मस्ती, हर गली में तेरा मेरा खेला।

फिर आई अम्मा, बोली, “बेटा, पढ़ाई कर लो, वरना क्या बनेगा?”
मैं बोला, “अम्मा, पढ़ाई भी ज़रूरी है, पर मस्ती के बिना क्या मज़ा है?”
अम्मा बोली, “ठीक है, पर खेल-कूद में भी नंबर ला, वरना बाज़ी हार जाएगी।”
मैं बोला, “अरे अम्मा, नंबर तो लाऊंगा, लेकिन हँसी भी बांटूंगा।”

फिर निकला स्कूल की ओर, रास्ते में मिला था मोहन,
जो हर रोज़ करता था नई नई शरारत, बड़ा ही अजीब।
मोहन बोला, “कल तेरे जूते देख, लगा कोई मैजिक है!”
मैं हँसा, बोला, “नहीं यार, ये तो मेरी नई ट्रिक है।”

स्कूल में गुरुजी ने पूछा, “बताओ, बताओ, सबक याद है?”
मैं बोला, “गुरुजी, याद तो सब है, पर कॉमेडी में भी नंबर लाना है।”
गुरुजी ने हँस कर कहा, “अच्छा है, पर पढ़ाई भी कर लेना!”
मैं बोला, “जी गुरुजी, मस्ती के साथ पढ़ाई भी करूँगा, यह है मेरा सपना।”

फिर आया होमवर्क, जो था बड़ा ही भारी,
पर मैंने उसे बनाया एक मज़ेदार कहानी।
मेरे टेबल पर गिरा पेंसिल, बोली, “तुम मुझसे डरते हो क्या?”
मैं बोला, “नहीं पेंसिल भैया, तुम तो मेरे दोस्त हो, डरना कैसा?”

रात को घर जाकर सोचा, ये दिन भी क्या दिन था,
मोहल्ला मेरा सुपरहीरो, हर कोई है सितारा।
खुशियों से भरा है मेरा हर एक पल, हर एक घड़ी,
मज़ाक और हँसी से रंगीनी है मेरी ज़िंदगी।

तो चलिए दोस्तों, ज़िंदगी में हँसी और मज़ाक रखो,
दुनिया की हर दिक्कत को हंस कर टालो।
क्योंकि यही तो है असली सुपरहीरो की पहचान,
जो हँसता रहे, मुस्कुराता रहे, यही है ज़िंदगी का गान।

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