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V S Chaubey

V S Chaubey

@vschaubey5692


आजाद रहिये विचारों से,
लेकिन
बंधे रहिये संस्कारों से.!!

मैं इत्र से महकूँ,ये आरज़ू नही है
तमन्ना है मेरे किरदार से खुशबू आये...

मनुष्य को श्रेष्ठता मिलती है उसके संस्कारो से,
पर सिद्ध होती है उनके व्यवहार से ।।
?जय श्री राम?

अपना पेट तो पशु भी भर सकता है,
निःस्वार्थ भावना से सबके हित के लिये जो कार्य करता है वही मनुष्य है।।