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ज़िंदगी की राह पर चलते वक्त हमे यही तो ध्यान रखना है कि किसीको इतना पानी (प्यार) ना दे दिया जाए जो बंधनो रूपी हमारा Flowerpot सड़ा दे। बस पर्याप्त वक्त, खाद (Understanding), पानी (प्यार) ही एक अच्छे संबंध को टिकाएं रखता है। ध्यान रखना है कि किसी एक कि देखभाल की चक्कर मे किसी एक से साथ न छूट जाए, सभी रिश्तों को साथ लेकर आगे बढ़ना है। Read full blog through below link "Unkahe रिश्ते - 5" by Vivek Patel read free on Matrubharti https://www.matrubharti.com/book/19947476/unkahe-rishtey-5
कीतना पागल हु न में, रिश्तो को बीच रास्ते मे छोड़कर ही दूसरे रिश्ते बनाने चल पड़ा। ये सोचा ही नही की वो कितना अधूरे feel करते होंगे जब वोह मुझे अपने पास नही पाते जब उन्हें मेरी ज़रूरत है । वोह मेरा इंतज़ार करते है, शायद ज़िन्दगी भर करते रहेगे क्योकि जीवन के मझधार मे जो में उन्हें छोर आया हु और दुख की बात तो येह की मुझे इसका अहसास होगा भी नही की कोई तड़प रहा है मेरी यादों के सहारे। में तो मसरुफ हु अपने नए रिश्ते बनाने मे। read full blog through below link... "Unkahe रिश्ते - 4" by Vivek Patel read free on Matrubharti https://www.matrubharti.com/book/19947346/unkahe-rishtey-4
"Unkahe रिश्ते - 4" by Vivek Patel read free on Matrubharti https://www.matrubharti.com/book/19947346/unkahe-rishtey-4
read my new Blog through below link 👇 "Unkahe रिश्ते - 5" by Vivek Patel read free on Matrubharti https://www.matrubharti.com/book/19947476/unkahe-rishtey-5
"Unkahe रिश्ते - 2" by Vivek Patel read free on Matrubharti https://www.matrubharti.com/book/19938659/unkahe-rishtey-2
जीवन बस इतना ही है - कनेक्शन और बंधनों की एक श्रृंखला जो हम अपने आस-पास के लोगों के साथ बनाते हैं। ये बंधन मजबूत और अटूट हो सकते हैं, या वे नाजुक हो सकते हैं और आसानी से टूट सकते हैं। लोगों के बीच बंधन का एक सुंदर उदाहरण फूल के गमलों की उपमा के माध्यम से देखा जा सकता है। read full blog through below link 👇 "Unkahe रिश्ते - 5" by Vivek Patel read free on Matrubharti https://www.matrubharti.com/book/19947476/unkahe-rishtey-5
कीतना पागल हु न में, रिश्तो को बीच रास्ते मे छोड़कर ही दूसरे रिश्ते बनाने चल पड़ा। ये सोचा ही नही की वो कितना अधूरे feel करते होंगे जब वोह मुझे अपने पास नही पाते जब उन्हें मेरी ज़रूरत है । वोह मेरा इंतज़ार करते है, शायद ज़िन्दगी भर करते रहेगे क्योकि जीवन के मझधार मे जो में उन्हें छोर आया हु और दुख की बात तो येह की मुझे इसका अहसास होगा भी नही की कोई तड़प रहा है मेरी यादों के सहारे। में तो मसरुफ हु अपने नए रिश्ते बनाने मे। "Unkahe रिश्ते - 4" by Vivek Patel read free on Matrubharti https://www.matrubharti.com/book/19947346/unkahe-rishtey-4
इसे भी हम सरलता से समझ सकते ही कि जैसे कोई गमला और उसके अंदर रहा कोई सा भी पौधा हमे बाकियों से ज़्यादा पसंद है, तो हमारा ज़्यादातर ध्यान उसपे रहता है और बाकियों पे उससे कम रहेगा। इसी तरह ज़िंदगी मे भी है, किसीको हम ज़्यादा प्यार जताते है जो हमे ज्यादा पसंद है और बाक़ियों को उसकी प्रत्यक्ष थोड़ा कम दे पाते है। लेकिन Expectation तो सबकी रहेगी ना की हमे भी प्यार मिले जितना उसे मिल रहा है। जो कभी भी मुमकिन नही हो सकता। जो आगे बढ़कर सबंधो में issues खड़े करता है। read full blog through below link 👇 "Unkahe रिश्ते - 5" by Vivek Patel read free on Matrubharti https://www.matrubharti.com/book/19947476/unkahe-rishtey-5
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