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कायल हूँ मैं तुम्हारी नजरों का... एक तुम ही हो जिसको मुझमें कमियां नजर आती हैं
सारे संसार की खुशियाँ एक तरफ.... कसम से मुझे देखकर तेरा वो नजरें झुकाकर मुस्कराना एक तरफ ।।
पहली मुहब्बत ही सच्ची मुहब्बत होती है.... दूसरी मुहब्बत तो अक्सर लोग पुरानी यादें भूल जाने के लिए करते हैं ।।
मुहब्बत तो आज भी हम तुमसे बेइम्तहा करते हैं... बस फर्क सिर्फ इतना है कि तुमने गौर करना छोड़ दिया और हमने जाहिर करना छोड़ दिया ।।
मेरी नाराजगी को तुम आज भी दिल से लगाए बैठे हो.... ऐ काश कि कभी तूने मेरी मुहब्बत पर भी गौर किया होता ।।
अजी अपनी इन नजरों की रोशनीं को जरा हमसे छिपाकर ही रखना .... अक्सर ही उस चाँद को सूरज की रोशनीं में समाते देखा है मैंने ।।
अजी ये इश्क की बारिश है जरा समझकर भीगना... यहाँ चन्द छींटे पड़ने से लोग लैला मंजनू बन जाते हैं, गर भीग गये तो कयामत होगी ।।
हम तेरे खूबसूरत लिबाज की तारीफ करते हैं.... लेकिन वह आज भी तेरे घटिया किरदार को छिपाने में नाकाम रहा ।।
लोगों ने हमसे हमारे मुस्कराने का राज पूछा.... हमने कहा आज एक शाम और गुजार दी हमने उससे बात किए बगैर ।।
कल तक तुझे अपना बनाने के सपने देखते थे.... बेशक मेरे सपनों के टुकड़े हजार हुए पर वो तेरे घमंड से कई ज्यादा अच्छे ।।
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