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Vahid Zala

Vahid Zala

@vahidzala1976yahooco


"हवाए" अगर "मौसम" का "रुख" बदल सकती है तो....
"दुआए" भी "मुसीबत" के "पल" बदल सकती है

जो खानदानी रईस हैं वो, रखते हैं मिजाज़ नर्म अपना,
तुम्हारा लहजा बता रहा है तुम्हारी दौलत नई नई है…....!!!
"वाहिद"

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चिलमिलाती धूप में हम तुम्हारी मंज़िल चल दिए,
कारवां के साथ होने हम भी शामिल चल दिए,
क़त्ल गाह में इतनी भीड़ थी के मत पूछिए,
आइ जब हमारी बारी तो थक के क़ातिल भी चल दिए.
vahid

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