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राज कुमार कांदु

राज कुमार कांदु Matrubharti Verified

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वो समय था, जो गुजर गया

अब उसका इंतजार ना कर

कुछ पल जी ले सुकून से

यूँ ही दिल को बेकरार ना कर

वो इश्क औ मोहब्बत की बातें

समझ लो हसीं ख्वाब था

ख्वाब को हकीकत समझ के

खुद को शर्मसार ना कर
- राज कुमार कांदु

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यादों का अनमोल खजाना, ही तो जीवन थाती है।
दो मित्रों का साथ हो ऐसा, जैसे दीया बाती है।

- राज कुमार कांदु

लहरो भारत भाल तिरंगा, यही मेरा अरमान है
सुजलाम सफलाम देश ये न्यारा, जग में बड़ा महान है ....
स्वतंत्रता दिवस की ढेरों शुभकामनाएं 🙏
🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳
- राज कुमार कांदु

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मुखड़ा है चाँद सा तेरा,
और गजब का नूर है
सिर्फ चाँद ही नहीं जालिम,
तू भी तो बहुत दूर है

-राज कुमार कांदु

न्याय की गुहार लगा रही धरने पर बैठी बेटियों के समर्थन में कुंडलियाँ विधा में मेरी एक रचना ...


बेटी बैठी सड़क पे, बार बार दुहराय

अब तो सुन लो बात को, दे दो हमको न्याय

दे दो हमको न्याय, देर अब ठीक नहीं है

न्याय है मेरा हक, जान लो भीक नहीं है

कहे 'राज' यह बात, ध्यान से सुनना मेरी

जनता है सरताज, व नेता उनकी चेरी


राजकुमार कांदु

स्वरचित /मौलिक

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तकल्लुफ को रखकर परे,

चलो बेतकल्लुफ हो जाते हैं

बंद कर आँखों को अपनी

ख्वाब में खो जाते हैं

बेगानों की भीड़ और

बेक़दरों की इस दुनिया में

तुम हमारे बनो या ना बनो

चलो हम तुम्हारे हो जाते हैं

-राज कुमार कांदु

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तुम ही दवा हो, तुम ही दुआ हो
रहनुमा तुम्हीं हो और तुम ही हो कातिल
करोड़ों की दुनिया में, मैं हूँ अकेला
तुम ही जुदा हो, और तुम ही हो हासिल

-राज कुमार कांदु

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हाल के राजनीतिक हालातों के संदर्भ में मीडिया की भूमिका पर एक निष्पक्ष नजरिया इस मुक्तक के द्वारा प्रस्तुत है।
जनता की आवाज होने का दावा करनेवाले पत्रकार जब सरकारी भोंपू बन जाते हैं, तब उन्हें देश में बढ़ती महँगाई, गरीबी, अपराध और भ्रष्टाचार नजर नहीं आता, तब लिखना पड़ता है ऐसा मुक्तक !
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जब जब कलम हुई सरकारी, जेब कटी है जनता की

महँगाई और जुल्म बढ़ा है, फूटी किस्मत जनता की

देशप्रेम का करें ढोंग ये, धर्म की गोली देते हैं

पछतायेंगे, हाथ मलेंगे, जो नींद ना टूटी जनता की

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दिन रात सनम करते हैं,
हम बस तुझे ही याद
दिल से निकलती है दुआ,
पर होठों पे फरियाद
कुछ और नहीं है हमें,
बस एक ही है काम
करना है तुझको याद,
बस करना है तुझको याद

-राज कुमार कांदु

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जब नापता है दिल, किसी के दिल की गहराई
शिद्दत से महसूस करता है किसी की जुदाई
तन्हा कर लेता है वो भीड़ में भी खुद को
बड़ी प्यारी सी लगने लगती है खामोश तन्हाई

-राज कुमार कांदु

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