Hey, I am on Matrubharti!

स्पर्श कुछ यूँ हुआ....तेरी रूह से.....

कस्तूरी भी फीकी लगने लगी तेरे ख़ुशबू-ए-इश्क़ से....

लहजे से उठ रही थी... कोई, दास्ताँ-ए-दर्द...


चेहरा बता रहा था...
कि, सब कुछ गँवा दिया...

कुछ तो शराफत सीख ले ऐ मोहब्बत, शराब
से ..
बोतल पे कम से कम लिखा तो है कि ;मै
जानलेवा हूँ

याद करता है कोई मुझे "शिद्दत" से,

जाता क्यों नहीं मेरा ये वहम "मुद्दत" से.

मुझे अभी और परेशानी में रहने दिया जाए...
यही किरदार मेरी कहानी में रहने दिया जाए...

अब तो मेरे वादे पर " ऐतबार " कर मेरी " जान ",,
तेरे इश्क़ में " चांद " लाने भेजा है " परिंदों " को...

मर्द लिखते हैं हमेशा औरतो को अपनी शायरीयों में खूबसूरत और हसीन...

लेकिन औरत ने जब भी लिखा मर्द को फरेबी ही लिखा...

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संग बीते "लम्हे" संभाल कर रखना....

मैं ठीक हु ....तुम अपना ""ख्याल""
रखना.

?

मैने ख़्वाबों में बरसों तराशा जिसे तुम वही संग-ए-मरमर की तस्वीर हो तुम न समझो तुम्हारा मुक़द्दर हूँ मैं मैं समझता हूँ तुम मेरी तक़दीर हो तुम अगर मुझको अपना समझने लगो मैं बहारों की महफ़िल सजाता रहूँ

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