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मैं कागज बेरंग सी तू रंगरेज मेरे अल्फाजों का___!! -कलम की रानी
जीत लूँ या हार जाऊँ ये बाजी इंतजार की___!!
एक उसके इंतजार मैं सर दर्द किये बैठे हैं... एक उसके लिए सारी दुनिया से खफा हो बैठे हैं... एक उसके लिए खुदा से मौत की फ़रियाद कर बैठे हैं... एक वो है... जो हमें छोड़ के चैन- ओ- सुकूँ से बैठे हैं... ✍🏻✍🏻✍🏻 -कलम की रानी
शायरी मे मुकाबला ना किया करो.. दर्द सभी का दर्दनाक ही होता है... -कलम की रानी
चाहती हूंँ कि तुम मेरी लेखनी की धार बन जाओ।।। मै पैन कार्ड तो हूँ ही , तुम बस आधार बन जाओ।।।।। -कलम की रानी
मैं बोती रही बन्जर ज़मीन पर इश्क के बीज, और तेरा हर वादा सरकार का मुआवजा निकला !!
रहूँ जो दर्द में, कोई ख़बर तक नहीं लेता... लिखू जो दर्द तो, सभी वाह वाह करते हैं.... -कलम की रानी
समंदर से मिलने का फितूर... अक्सर लोगो को प्यासा ही मार देता है..... -कलम की रानी
मेरी मृत्यु पर कौन रोएगा यही सोच कर मैं तुम्हें मुझसे पहले नहीं मरने देती और तुमसे इतना प्रेम है कि तुमको रोता हुआ नहीं छोड़ पाऊंगी इसलिए मैं भी नहीं मरती इस तरह प्रेम ने हम दोनों को अमर कर दिया..
क्या लिखू रोज रोज,कितना लिखूं रोज रोज..!! तुम आ जाओ किसी रोज,और पूर्ण विराम लगा दो ना....!!!!
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