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Thakur Devendra Thakur

Thakur Devendra Thakur

@thakurdevendrathakur190907


अपनी ही सोच,अपने सांचे में ढला हूँ मैं ...
अपना गम,अपने दर्द खुद लेकर चला हूँ मै ..
कौन सुनता है किसी की इस बेरहम ज़माने में,
अपनी मंज़िल के जानिब अकेला ही चला हूँ मैं ..

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सांसो में कभी महसूस की
जन्नत की-सी हवा ,
आगोश में उनके मिलती रही
मेरे हर दर्द की दवा ।।
ख़ामोशी से आज वो भी
कितनी दूर हो गए ..
वादे तो बस वादे रहे,
अब उम्मीद भी फनां ।।
देवेंद्र ठाकुर "देव"

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"देव" ये इश्क़ है बस इश्क़;
इश्क़ का फ़लसफ़ा इतना,

कि आँखों में लिखी बातें;
किताबों में नहीं होती ।।