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Tarkeshwer Kumar

Tarkeshwer Kumar Matrubharti Verified

@tarkeshwerkumar.185771
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उसे भूख बहुत तड़पाती थी,
चैन की नींद कभी ना आती थी,
मौत ने उसे आबाद कर दिया,
हर गम से आज़ाद कर दिया।

-Tarkeshwer Kumar

दुनियां रोशन हैं तेरी रोशनी से ए आग मगर,
मेरे मन का अंधेरा तेरे बस की बात नहीं

-Tarkeshwer Kumar

किसी रोते को अब नहीं हंसाना
किसी रूठे को अब नहीं मनाना
बदल दिया अब नियम जिंदगी का
किसी गैर को अपना नहीं बनाना

-Tarkeshwer Kumar

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बेईमान के हाथों बिकते नहीं,
हम बुराई के साथ टिकते नहीं,
तुम्हें दिख जाता हैं गैरों का गम,
एक हमारे आंसू ही तुम्हें दिखते नहीं।

-Tarkeshwer Kumar

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झूठ बोलने की भी एक हद होती हैं साहब,
तूने जो भी बताया झूठ के दायरे से बाहर था।

-Tarkeshwer Kumar

मेरे हिस्से की हंसी तुझे मिल जाए,
तेरा दिया गम ही काफी हैं जीने के लिए।

-Tarkeshwer Kumar

उसने पूछा कोई गम हैं क्या,
चेहरे पर हसीं आंखें नम हैं क्या,
मैंने कहा बैठो कभी दर्द के मयखाने में,
आंसू संभाल लोगे इतना दम हैं क्या।

-Tarkeshwer Kumar

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कुछ में जिंदगी, तो कुछ में तन्हाई ढूंढते हैं,
कुछ दुख में सुख की परछाईं ढूंढते हैं,
मैं बहुत बुरा हूं, सबमें राम ढूंढता हूं,
सब अच्छे हैं, मुझमें बुराई ढूंढते हैं।

-Tarkeshwer Kumar

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सच्चा प्यार नहीं था वो सब
जो कुछ था वो सिर्फ साज़िश था

क्या हुआ जो उसने तुझे रुलाया हैं
तूने भी तो माँ बाप का दिल दुखाया हैं