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Swati Kumari

Swati Kumari Matrubharti Verified

@swatikumari.564309
(20)

मौत देखा

आज मैंने मौत को फिर
अपनी आँखों से देखा
हाँ आज फिर एक बुड्ढे को
सड़क किनारे मरते देखा
भीड़ इकट्ठी थी काफी
पर मदद को आया ना कोई आगे
चार बातें कोई सुनाता
तो कोई उसके बुरे कर्मों का फल गिनवाता
हाँ आज फिर एक बुड्ढे को
सड़क किनारे तड़पते देखा
वो मदद की उम्मीद लिए
आँखों को नम किए
चारों तरफ अपनो को खेज रहा था
बहू पास में खड़ी उस पर हँस रही थी
लम्बी-लम्बी बाते करने वाले भी
खूब मौजूद थे वहाँ
पर किसी की औक़ात ना थी
बुड्ढे को हॉस्पिटल पहुँचाने की
हाँ आज फिर एक जिन्दगी को कुर्बान होते देखा
फिर एक बुढ्ढे को सड़क किनारे मरते देखा
हजारों मक्खियां उस पर थी चढ़ी
मानो उससे सैकड़ों सवाल दाग रही हो
मजबूर बेबस बुड्ढा
कौन से कर्म का फल है ये?
मन ही मन भगवान से प्रश्न दाग रहा था
हाँ तड़प-तड़प कर उसने
अपने प्राणों को त्यागा
फिर अगले जन्म मनुष्य ना बनने को ठाना
आज फिर एक बेबस को मरते देखा
सड़क किनारे तड़पते देखा



Swati kumari

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तुम्हें देखने मात्र से ही
ना जाने क्यों दिन बन जाता है मेरा

-Swati Kumari

मोहब्बत के बदले मोहब्बत ही तो मांगा था तुम से
फिर क्यों बेबफाई दे गए तुम

-Swati Kumari

बता मेरे यारा

तेरे दिन के 24 घंटे में से,
मैं ने तो बस 10 मिनट का वक़्त मांगा है ।
बता मेरे यारा क्या यह भी गुनाह है ?
तेरी नजरों में,
खुद के लिए थोड़ा सा सम्मान ही तो मांगा है।
बता मेरे यारा क्या यह भी गुनाह है?
तुझ से प्यार के बदल में,
बस थोड़ा सा प्यार ही तो मांगा है।
बता मेरे यारा क्या यह भी गुनाह है?
भागमभाग की इस दुनिया में,
खुद लिए जरा सा परवाह ही तो मांगा है।
बता मेरे यारा क्या यह गुनाह है?
हर वक़्त तेरी चिंता के,
बदले बस एक फोन कॉल ही तो मांगा है।
बता मेरे यारा क्या यह गुनाह है?
तुम से चांद तो नहीं,
बस हर रोज क्षण भर के लिए तेरा दीदार मांगा है।
बता मेरे यारा क्या यह भी गुनाह है?

Swati kumari

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