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Sugam Thakkar

Sugam Thakkar

@sugamthakkar203738


લાગણીનુ તો છે ઘાસ જેવુ,

ઉગી આવે જ્યા મળે ભીનાશ જેવુ.....

थोड़ा सा और बिखर जाऊं,मैंने यही ठानी है,

ऐ जिंदगी ,थोड़ा रुक, मैंने अभी, हार कहाँ मानी है..

चेहरा मत छुपा हम इश्क के बीमार नही है

हम दिल से प्यार करते है जिस्म के खरीदार नही है...

जिस क़दर उसकी क़दर की हमने,
उस क़दर बेक़दर हो गए हम।

किसे सुनाएँ अपने गम के चन्द पन्नो के किस्से...

यहाँ तो हर शख्स भरी किताब लिए बैठा है l

ख़्वाब की तरह बिखर जाने को जी चाहता है
ऐसी तन्हाई कि मर जाने को जी चाहता है
- इफ़्तिख़ार आरिफ़