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Sthitpragya

Sthitpragya

@sthitpragya8080


अपने धैर्य का बांध इतना विशाल और ऊंचा रखो,
कि, कोई तोड़ने की हिम्मत ना कर पाएं।
और अगर टूटे तब उसके प्रवाह को कोई रोक ना पाएं।

- स्थितप्रज्ञ

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प्रेम की पराकाष्ठा की अनुभूति प्राप्ति के पश्चात नहीं
अपितु, प्राप्ति के पहले की प्रतिक्षा में ही की जा सकती है।
- स्थितप्रज्ञ

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