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हेतराम भार्गव हिन्दी जुड़वाँ

हेतराम भार्गव हिन्दी जुड़वाँ

@soupztst1790.mb
(16)

मन जब मन को याद करें, भरकर वियोग की पीर।
अनन्य प्रेम की स्मृतियों का, नयनों में भर गया नीर।।




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जो भाव हृदय में हो, परीक्षा उसी की होती है।
...
(मेरे हृदय में तुम और तुम्हारा प्रेम है)


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*आत्मिक प्रेम क्या है?
...
*जब प्रेम की अनंत गहराई में हृदय समर्पित हो कर
निर्विरोध हो जाए
और
कभी भी अवहेलना न करें
सदैव स्वाभिमान से सम्मान करें,
वही आत्मिक प्रेम है।


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तुम मिलो तो पुछूं मैं, राधा से मिलने आए क्यों नहीं
तुम तो भगवान थे, प्रेम के वचन निभाए क्यों नहीं
मैं तो इंसान हूँ प्रभु, कैसे प्रेम बंधन निभा पाऊंगा मैं
मेरी भी राधा है पूर्व जन्मों की उसे कैसे समझाऊंगा मैं

(हरिश्चंदा महाकाव्य)













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नारी होना आसान नहीं..... बहुत इम्तिहान देने होतें हैं पुरुष के बराबर होने के लिए!

नयनों में प्रतिबिम्ब प्रेम का भाव उतर आया है।
वर्षों की प्रतीक्षा के बाद, हमने तुमको पाया है।।

जब
कोई तुम्हें
ईश्वर मान लें
तो
समझ लेना
उसे
तुममें प्रेम मिल गया।



हिंदी जुड़वाँ

जिससे मिलने के बाद जीने की उम्मीद बढ़ जाए, वही प्रेम है...... हिंदी जुड़वाँ

प्रेम
सब कुछ सह लेता है

अपेक्षा, अपमान, निराशा, कुंठा, तृष्णा, वेदना
किन्तु
वियोग नहीं सह सकता



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हरिश्चंद्रा महाकाव्य से

मन बस गया जिसके मन में, मैं उसका मन से हो गया।
अतुल्य अनन्य प्रेम को पाकर, मैं उस प्रेम में बह गया।।
क्या पुछूं-क्या कहूं, क्या लिखूं, अब क्या क्या मैं बताऊं।
ईश्वर प्रदत्त ऐसे प्रेम का, सच कहूं जन्म जन्म हो चाहूं।।




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