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माना कि तुझे अपने हुस्न पर गुरुर है यह मेरा इश्क़ ही है कि तू मशहूर है महफ़िल में किस्से आज भी चलते है हमारे नाम के बस मयखाना छोड़ा है हमने बरना मयखाने में तो आज भी मशहूर है। -दिलीप कुमार
दिवाली का यह पावन त्यौहार आपके जीवन में लाए खुशियां अपार आओ हम सब मिलकर खुशियों के दीप जलाएं अंतस के विषाद को निचोड़ स्नेह की बाती सुलगाएं झलकती है यादों में आज भी आपकी दिलकश मुस्कान रोशनी के इस त्यौहार की तरह आपका दिन रहे हमेशा प्रकाशमान लक्ष्मी विराजमान हो आपके द्वार शुभेक्षा करें हमारी स्वीकार -दिलीप कुमार
डोर साँसों की कमजोर पड़ रही है हमसे हमारी किस्मत बगावत कर रही है समझता नहीं वो अल्फ़ाजे मोहब्बत की गहराई को.. इश्क तो हमें आज भी है बस फर्क इतना है कल तुमसे था और आज तुम्हारी यादों से है। -दिलीप कुमार
आज फिर आयी वो, संग उम्मीदों के खुशियाँ लायी वो। वो मुस्कुरायी हम मुस्कुराए, यह सोच कि खुशियां लौट आयीं वो। पर हम नादाँ थे,जब आँख खुली तो पता चला वो हसीन ख्याब था, जिसमें थी, समायी वो। -दिलीप कुमार
वो अल्फ़ाज़ कहाँ से लाऊं जो तुम्हें अच्छे लगे | मैं बुरा जो हूँ, अच्छा भी कहूँ तो जहर लगे | -दिलीप कुमार
आज लिखते लिखते कलम ने हमसे पूछ ही लिया, "इतना दर्द कहाँ से लाते हो जिन्हें उकेरते हो इन पन्नो पर?" मैंने मुस्कुराकर कहा, "जिसे दर्द विरासत में मिला हो, उसे दर्द कहीं और से लाने की जरूरत ही क्या?" -दिलीप कुमार
अक्सर बड़ी-बड़ी बातें करने वालों की सोच छोटी ही....होती है ! -दिलीप कुमार
बदल दिया उसने अपनी चाहत का जाम पिलाकर..! वरना इतनी खामोशी तो शराब पीने के बाद भी नही थी..!! -दिलीप कुमार
दर्द की जुबान नही होती साहेब पर इसका शोर असनिय होता है | -दिलीप कुमार
ग़ुरूर है ये ज़िंदगी मुझे खुद पे तमन्नाओं की दुनिया में कोई तमन्ना नही रही कहने को तो अपने पर बेगानों की कमी न रही। दिलीप कुमार
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