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Shubham Prajapati

Shubham Prajapati

@shubhamkumar8000
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यदि आप वास्तव में शिक्षा चाहते हैं तो क्षमा करना शिक्षा प्रणाली आपके लिए नहीं है। जाओ और अपनी रुचि की कुछ अच्छी किताबें खरीदो और अपना अध्ययन शुरू करो।

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आज साँझ ढले तुम फिर याद आये,
आंखों से फिर बरसात लाये,
अब ये दर्द-ऐ-दिल सहा न जाये;
सब कहते है कि भुला दूं तुम को,
पर कैसे समझाऊ सब को
मेरी रूह में हो तुम समाए!

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कभी कभी समझ मे ही नही आता है कि लड़कियां हस कर देख रहीं हैं या हमे देखकर हस रहीं हैं।
?

हैं लफ्ज़  कम,
हे कम नही तन्हाई मेरी।
हे ज़िन्दगी उलझी हुई तेरे सवालों में,
पर मिलता नही सुकून क्यूं,  मेरे जवाबो में।
मै डूबता साहिल कोई,
तूं खिल रहा सा चांद है।
ज़िन्दगी है खो रही
और मिट रही पहचान है।
मै आश लेकर जी रहा कि,
तूं मुझे पहचान ले;
मेरी मिट चली पहचान को,
तू एक नई पहचान दे।
खो गयी है रोशनी,
और है अंधेरा सामने।
हूँ अकेला मै यहाँ, तू हाँथ मेरा थाम ले।
खो गई मुस्कान है और
हो गयी है आँख नम,
कैसे कहूँ हैं कितने गम!
हैं लफ्ज़ कम,
हैं लफ्ज़ कम,
हैं लफ्ज़ कम।

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