The Download Link has been successfully sent to your Mobile Number. Please Download the App.
Continue log in with
By clicking Log In, you agree to Matrubharti "Terms of Use" and "Privacy Policy"
Verification
Download App
Get a link to download app
मैं तुमसे मिलने केदारनाथ नहीं आऊं तो चलेगा न? मैं तुम्हे ढूँढ़ते ढूँढ़ते मक्का मदीना न जा पाऊँ तो चलेगा न? मैं तुम्हे चर्च और गुरूद्वारे में न खोज पाऊँ तो चलेगा न? मैं तुम्हे घर के किसी कोने में बिठाकर न पूजूँ तो चलेगा न? मैं तुम्हारे किसी मंदिर में कतार में न खड़ी रहूं तो चलेगा न? मैं तुम्हे किसी भी नाम से न पुकारूँ तो चलेगा न? तुम तो मेरे साथ भेदभाव नहीं करोगे न? मुझे श्वास तो दोगे न? जैसे सबको मिला लेते हो , मुझे भी अपनी मिटटी में विलीन करोगे न? मुझे भी मृत्यु तो दोगे न !!!!!!! श्रद्धा रामानी
ज़िन्दगी को थोड़ा सा आसान कर लिया मैंने उसके घर के आगे मकान कर लिया
ए ज़िन्दगी जिस तरह तुम हर बार मुझे तोड़ कर रख देती हो तुमको लगता है मेरा हॏसला ख़त्म हुआ मैं हर एक बार फिर जोश से ही उठती हूँ क्यूंकि मेरे साथ हैं मेरे अपने और मेरी माँ की दुआ ।
मोबाइल तेरी महिमा अप्रम्पार तूने तो बदल के ही रख दिया है ये सारा संसार तू तो दिन प्रतिदिन स्मार्ट होता जा रहा है पर मस्तिष्क का हो चला है बन्टाधार
मुझे तुम्हारी एक झलक से भी जुनूनी इश्क़ है तुम्हे मुझे उससे महरूम रखने का क्या हक़ है
तुम जो हो वो सही हो वो क्यों बनने चले हो जो नही हो
वो वक्त बेवक़्त याद आना उनका किसी हसीन हाद्से की निशानी सा लगता है
वो वादे करना, कसम खाना और फ़िर उन्हे तोड़ देना अजब सा सिलसिला है नहीं होती दिल्लगी अब कि ये दिल कम्ज़ोर हो चला है
जी तो करता है कि जल जाएँ बुझाते हुए हम ख़ुद को खो देंगे कहीं आपको पाते हुए हम ।।
Shradha Ramani #poem #the_monologue -- The Monologue Shared via Matrubharti.. https://video.matrubharti.com/111210225/poem-video
Copyright © 2025, Matrubharti Technologies Pvt. Ltd. All Rights Reserved.
Please enable javascript on your browser