Quotes by Vishal Kumar Shah in Bitesapp read free

Vishal Kumar Shah

Vishal Kumar Shah

@shooterbro6669


किसी ने महल सजाया तो, तो सजाई किसी ने झोपड़ी
किसी ने छप्पन भोग परोसे, तो परोसी किसी ने सुखी रोटी।
पटाखों की शोर कम हुई तो पता चला

किसी के उपर मखमली कंबल थी, तो किसी के उपर ओस थी।। (its vissu)

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मिलके बिछड़े वर्षो बीतें, क्या अब भी मैं जिंदा हूं?



तेरे दिल में घर था मेरा, क्या अब भी मैंने रहता हूं??

फक्र था की तुम मेरे हो, फिक्र थी की कब तक।
दिन, साल में यूं बदला
ना फक्र रहा ना फिक्र।
@नंद नवाब

और अंत में सब हवा हो गया,
हम उनसे और वो हमसे खफा हो गया,

होंठ जब थमती है तो कलम बोलता है, कागज बोलता है,
दो घूंट लगाते है वो बे-अदब जाम बोलता है।
अब उनको क्या बताऊं जो हमसे हमारी औकात पूछकर चले गए,
तजुर्बे के उस मुकाम पर बैठा हूं कि अब नकाब के अंदर का नकाब बोलता है।।

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अब हाल ना रहा, जज्बात ना रही।
वो दर्द ना रहा, मिठास ना रही।
एक ईंट तक ना बच सका ढहे घर बनाने को,
वो पूछ बैठे क्या करते हो अब?
एक लब्ज़ तक ना बच सका बचे लब्ज़ सुनने को।।
its vissu

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अजीब सी दुविधा में हूं जनाब,
अर्सो बाद उन्होंने पूछा - कैसे हो आप?
अब आलम ये है कि बताए तो बताएं कैसे!!!
डर है कि कहीं टूट ना जाए ख्वाब।।
its vissu

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