Quotes by Shankar Mandal in Bitesapp read free

Shankar Mandal

Shankar Mandal

@shankarmandalaz52gmail.com091803


है की दिवाली सनातन धर्म का सबसे बड़ा त्योहार है, यह त्योहार रोशनी और खुशी के पर्व के रूप में मनाया जाता है। दिवाली के दिन लोग अपने घरों को साफ-सुथरा करते हैं, दीये जलाते हैं और मां लक्ष्मी और भगवान गणेश की पूजा करते हैं। दिवाली के अवसर पर लोग अपने दोस्तों और रिश्तेदारों को शुभकामनाएं देते हैं और मिठाइयां और उपहार भेंट करते हैं।

यह दिवाली पर्व खुशियों और उत्सव का समय है। यह एक ऐसा समय है जब लोग अपने प्रियजनों के साथ समय बिताते हैं और खुशियां बांटते हैं। मैं आशा करता हूं कि आप सभी के लिए यह दिवाली बहुत ही खास और यादगार हो।

Read More
epost thumb

है की दिवाली सनातन धर्म का सबसे बड़ा त्योहार है, यह त्योहार रोशनी और खुशी के पर्व के रूप में मनाया जाता है। दिवाली के दिन लोग अपने घरों को साफ-सुथरा करते हैं, दीये जलाते हैं और मां लक्ष्मी और भगवान गणेश की पूजा करते हैं। दिवाली के अवसर पर लोग अपने दोस्तों और रिश्तेदारों को शुभकामनाएं देते हैं और मिठाइयां और उपहार भेंट करते हैं।

यह दिवाली पर्व खुशियों और उत्सव का समय है। यह एक ऐसा समय है जब लोग अपने प्रियजनों के साथ समय बिताते हैं और खुशियां बांटते हैं। मैं आशा करता हूं कि आप सभी के लिए यह दिवाली बहुत ही खास और यादगार हो।

Read More
epost thumb

इस पोस्ट में हम बात करेंगे की हमारे जीवन में भावना का क्या महत्व है इसको हम कैसे समझें कैसे इसका उपयोग अपनी सफलता के लिए करें।
हमारे निर्णय में भावना की कितनी भूमिका होती है क्या आप ये स्पष्ट रूप से जानते हैं और कैसे हमारी भावना हमारे जीवन को एक आकार प्रदान करती है आज इस पोस्ट में मैं इस विषय पर आपसे विस्तार से चर्चा करूँगा।
हमारे फैसले, भावनाओं के रास्तों से होते हुए ही गुजरते हैं। हमको लगता ऐसा है की हम निर्णय तर्क के आधार पर लेते हैं पर ऐसा है नहीं हम निर्णय भावना के हिसाब से लेते हैं हमारी भावना ही ये निश्चित करती है की क्या सही है क्या गलत है आप शायद थोड़े संशय में पड़ गए होंगे की मैं आपसे क्या कहना चाह रहा हूँ।
आइये इसे उदाहरण से समझते हैं आप एक कमरे में प्रवेश करते हैं यहाँ पर आपके दो मित्र राजेश और उदित उस कमरे में पहले से बैठे हैं दोनों ही आपके मित्र हैं दोनों के पास बैठने का विकल्प आपके पास उपलब्द्ध है आप किस के साथ बैठना पसंद करेंगे राजेश के साथ या उदित के साथ?
आप शायद निर्णय नहीं कर पाए की मैं आपसे क्या सवाल पूछ रहा हूँ मैं आपको बताता हूँ आप उस मित्र के साथ बैठना पसन्द करेंगे जिसके साथ आप ज्यादा सहज हैं आप इसको आजमा कर देखना आपने ये निर्णय की तर्क के आधार पर नहीं लिया भावना के आधार पर लिया है।
हमारी भावना हमारे निर्णय को प्रभावित करती है हमारी भावना कभी हमको बहादुर कभी डरपोक बना देती है ये भावना ही है जो आपको दान देने के लिए या ना देने के लिए प्रेरित करती है। ये भावना ही है जो एक कर्मचारी को ज्यादा समर्पित और ज्यादा आलसी बना देती है।
आप एक सूनसान सुरक्षित रास्ते से दिन में निकलते हैं तो आपकी दिल की धड़कन सामान्य रहती है लेकिन जब आप उस ही रास्ते से अंधेरी रात को निकलते हैं तो आपके दिल की धड़कन थोड़ी बढ़ी हुई होती है और हो सकता है आप मन ही मन अपने इष्ट को याद कर रहे हों या हनुमान चालीसा ही बुदबुदा रहे हों।
आपका व्यक्तित्व वैसा ही है जैसी आपकी भावना है ये भावना ही है जो आपका आकार निश्चित कर रही है इसलिए हमको भावना के ऊपर काम करना होता है क्योंकि हमारे जीवन में घटने वाली प्रत्येक घटना के पीछे आपकी भावना ही होती है जो आपसे मनचाहे निर्णय करवाती है और फिर आपको उस ही के अनुरूप परिणाम भी प्राप्त होते हैं।
भावनाओं की अपनी ही एक गहरी समझ होती है। इस तथ्य की अनदेखी करना हमें सीमाओं में बांध देता है और अकसर नुकसान पहुंचाने वाला होता है। उदाहरण के लिए कोई कहेगा कि उन्हें बहुत जल्दी कोई बात लग जाती है, वे हमेशा दिल की सुनते हैं और इस कारण कई दफा उनका दिल टूट जाता है। पर, ज्यादा दिमाग चलाने और भरोसा नहीं करने पर भी हम जिंदगी में प्यार के मौकों से दूर हो जाते हैं। मुझे

Read More