Quotes by Aasiya in Bitesapp read free

Aasiya

Aasiya

@shaheena


वो जो रोज़ आईने में खुद को देखती है,
वो खुद को नहीं देखती…
वो एक ऐसा सपना देखती है
जो कभी पूरा नहीं हुआ।
हर सुबह अपने चेहरे पर मुस्कान सजाती है,
ताकि दुनिया उसकी आँखों में छुपे सवाल न पढ़ सके।
मगर आईना जानता है —
वो अब भी उसी अधूरे ख्वाब में जी रही है,
जो कभी था तो उसका अपना,
मगर अब सिर्फ एक धुंधला अक्स बनकर
उसके सामने खड़ा रहता है…
हर रोज़, हर सुबह, हर साज़

Read More

"औरत..."

चुप रहकर भी बहुत कुछ कह जाती है,
मुस्कुरा कर भी, हर ग़म सह जाती है।

हर दर्द को अपने आँचल में छुपा लेती है,
और फिर दुनिया को हँसकर वही प्यार दे देती है।

कभी माँ बनकर ममता की छाँव देती है,
कभी बहन बनकर दोस्ती निभा देती है।

वो बीवी के रूप में घर को सजाती है,
और बेटी बनकर रौशनी सी छा जाती है।

टूटती है… बिखरती है…
फिर भी हर सुबह खुद को समेट लेती है।

औरत… बस एक जिस्म नहीं,
वो रूह है — चलती हुई दुआ की तरह।

सिर्फ़ इज़्ज़त नहीं चाहिए समझ भी चाहिए।

क्योंकि वो खामोश है, कमज़ोर नहीं।

Read More

जिसे टूटकर चाहा, उसी ने टुकड़ों में छोड़ दिया — अब खुद को जोड़ने में ज़िंदगी लग रही है..."