The Download Link has been successfully sent to your Mobile Number. Please Download the App.
Continue log in with
By clicking Log In, you agree to Matrubharti "Terms of Use" and "Privacy Policy"
Verification
Download App
Get a link to download app
भेजा था तुम्हें खामोशियों के शब्दों में लिखा एक कोरा कागज़ जो थी अधूरी प्रेम कविता मेरी चूमा तुमने कागज़ और कविता मुकम्मल हो गई।।
इश्क तुझसे हुआ तो जरूर है मुझे तू ही सबकुछ मेरे लिए हो ये जरूरी तो नही।।
ना कर यूं गुमान अपने हुस्न पर तेरे यहां पतझड़ के बाद फिर बसंत नहीं आता।।
ठहरे दरिया में गिराए थे कभी हमने वफा के आंसू जा मिला सागर से और समंदर खारा हो गया।।
दिल तोड़ कर चले जाने का दोष हम उसको क्यों दें उस से दिल लगाने का कसूर तो हमारा ही था।।
चंद धुंधले ख्वाब थे और कुछ टूटी हुई उम्मीदें कुछ तो नहीं है अब हासिल करने को इस जिंदगी में।।
मोहब्बत तुझसे की है तो शिकायत भी तुझसे करेंगे होकर गैर की भी खुश रहे तू रब से इबादत हम करेंगे।।
शब्द बयां कर दे मुझको,इतना भी आसान नहीं मैं जो भी हूँ जैसा भी हूँ मेरी माँ से पूछो इसके अलावा मेरी और कोई पहचान नहीं।।
महताब से की मोहब्बत मुक्म्मल कैसे होगी आजतक वो किसी एक का हुआ है क्या।।
रकीब की मोहब्बत का उन पर असर देखते चलो हमारी यादों में तरसती थी जो नजर देखते चलो शायद आना ना हो पाए इधर दोबारा फिर कभी चलते-चलते एक बार उनका शहर देखते चलो।।
Copyright © 2025, Matrubharti Technologies Pvt. Ltd. All Rights Reserved.
Please enable javascript on your browser