The Download Link has been successfully sent to your Mobile Number. Please Download the App.
Continue log in with
By clicking Log In, you agree to Matrubharti "Terms of Use" and "Privacy Policy"
Verification
Download App
Get a link to download app
चाय की चुस्की और दोस्तों का साथ कुछ मिनटों में ही खत्म हो जाती है दिनभर की थकान। Saroj Prajapati
जुबान आपकी, चलाइए इसे अपने हिसाब बस इसे चलाते समय रखें, इतना सा ध्यान बेवजह दूसरों को घायल न करें, इसकी धार।। सरोज ✍️ - Saroj Prajapati
क्यों करना किसी से प्रशंसा की उम्मीद अगर है आपको खुद पर यकीन। सरोज प्रजापति ✍️ - Saroj Prajapati
छोड़ दीजिए खुद को दूसरों की कसौटी पर परखना खुद को खुश रखने का इससे बेहतर नहीं कोई रास्ता। सरोज ✍️ - Saroj Prajapati
जब कभी करनी हो खुद से गुफ्तगूं तब अकेलेपन से बेहतर कोई साथी नहीं।। सरोज ✍️ - Saroj Prajapati
स्त्रियां उठ जाती हैं मुंह अंधेरे, फिर एक पैर पर चक्करघिन्नी सी घूमती रसोई संग घर के और जरूरी कई काम निपटाती जाती है। बच्चे और पति खा पीकर हो अच्छे से तैयार इसलिए सबको टिफिन संग उनका हर सामान हाथ में पकड़ाती है। लेकिन सुबह की इस आपा धापी में अक्सर ठंडी हो जाती उसकी चाय तो कभी अपना टिफिन ही भूल जाती है। कितनी ही बार सोचती है कि कल मैं भी अच्छे से सज संवर अपने स्कूल और दफ्तर जाऊंगी लेकिन घर परिवार की जिम्मेदारियां के आगे कहां खुद को चाह कर भी वो समय दे पाती है। अब तो अलमारी में टंगी साड़ियां भी उसको मुंह चिढ़ाती है । लेकिन कर उनको अनदेखा बेमन से कुछ भी पहन अस्त-व्यस्त सी वो हर रोज़ दौड़ती भागती सी स्कूल ,ऑफिस के लिए निकल जाती है। भर जाता जब भीतर उसके अथाह लावा तब खूब चीख चिल्लाकर अपनी तकलीफ दिखलाती है। लेकिन अगले ही पल सबका दिल दुखाने के लिए खुद को ही दोषी पाकर फूट-फूट कर आंसू बहाती है। नहीं चाहती उसके कारण हो किसी को तकलीफ इसलिए हर ग़म खुद ही हंसते हंसते पी जाती है। झूठे हैं वो लोग... जो कहते हैं कि एक स्त्री अपने भीतर कोई राज़ छुपा नहीं पाती है। जुड़े रहे रिश्ते और बसा रहे उसका घर संसार इस खातिर जीवन भर दफनाए रखती सीने में कई राज़ और आखिर में इन राज़ संग ही वो दफन हो जाती है।। सरोज ✍️ - Saroj Prajapati
चंचल मन की हर बात निराली बैठे बैठे सपने दिखलाए भारी। कभी आसमान की सैर कराएं कभी रानी बन गद्दी पर बैठाए। तितली समान इत उत इतराएं सुनहरे ख्वाब दिखा मन को हर्षाएं। चंचल मन नित नई लालसा जगाएं बेकाबू हो मुसीबत में फंसाएं। जिसने कर लिए इसको वश में उससे बढ़कर नहीं कोई जग में। सरोज ✍️ - Saroj Prajapati
ईश्वर के बाद माता पिता का साया ही है जो उनके साथ भी और बाद भी अपने बच्चों के साथ बना रहता है। सरोज प्रजापति ✍️ - Saroj Prajapati
गत वर्ष का थामें हाथ देखो धीरे धीरे चला आ रहा है नया साल। दुख निराशा और उदासियों की पोटली बांध देखो धीरे धीरे चला जा रहा है पिछला साल। नई खुशियों, उमंगों और आशाओं की लेकर सौगात देखो मुस्कुराता सा चला आ रहा है नया साल। फीके पड़ चुके रिश्तों में घोलने फिर से मिठास देखो प्रेम से भरा चला आ रहा है नया साल। जीवन में करने सकारात्मकता का संचार देखो जोश से भरा चला आ रहा है नया साल। हर ख्वाहिश को देने उसका मुकाम देखो धीरे धीरे चला आ रहा है नया साल। नववर्ष आपके जीवन में लाए खुशियां अपार इन्हीं शुभकामनाओं संग मुस्कुराता चला आ रहा है नया साल। सरोज प्रजापति ✍️ - Saroj Prajapati
दिसंबर - जनवरी सी आनी जानी इस जीवन की यही कहानी। सरोज ✍️ - Saroj Prajapati
Copyright © 2025, Matrubharti Technologies Pvt. Ltd. All Rights Reserved.
Please enable javascript on your browser