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रौनकें लगी त्योहारों की सज गए घर कूचे और बाजार सब व्यस्त हैं, सब मगन है कोई कमी ना रहे खुशियां मनाने में इस बार लेकिन कुछ बूढ़ी पथराई सी आंखें इस बरस भी कर रही अपने चिरागों के लौटने का इंतजार।। सरोज प्रजापति ✍️ - Saroj Prajapati
वाकई में ही अक्टूबर, तुम माह बड़े हो खास तुम्हारे आते ही मन में उमंग तरंग सी छा जाती है मौसम में भी गुलाबी ठंडक सी भर जाती है और त्यौहारों की छटा चारों ओर बिखर हमारे मन को हर्षोल्लास से भर जाती है। सरोज प्रजापति ✍️ - Saroj Prajapati
कठिन हालात में भी स्वभाव में नरमी बनाए रखें क्योंकि लोग आपके हालात नहीं स्वभाव याद रखते हैं। सरोज प्रजापति ✍️ - Saroj Prajapati
धैर्य,संयम, मेहनत और लगन के आगे वक्त, किस्मत और हालात को भी आज नहीं तो कल घुटने टेकने ही पड़ते हैं। सरोज प्रजापति ✍️ - Saroj Prajapati
आपकी कामयाबी पर बेशक सभी आपकी पीठ थपथपाएंगे लेकिन खुश केवल वही होंगे जिन्होंने आपका संघर्ष देखा होगा बाकी तो इसे किस्मत का खेल बताएंगे। सरोज प्रजापति ✍️ - Saroj Prajapati
मत उलझिए इस जिंदगी के हिसाब किताब में बस बहने दीजिए खुद को इसकी मंद बयार में ।। सरोज प्रजापति ✍️ - Saroj Prajapati
कोई ठोकर खाकर गिर गया कोई ठोकर खाकर संभल गया कोई सीख लेकर आगे बढ़ गया समझ समझ का बस फेर है कोई बिगड़ गया, कोई संवर गया। सरोज प्रजापति ✍️ - Saroj Prajapati
जो बोलने से पहले थोड़ा सोच विचार करते हैं वो दूसरों की नजरों में शर्मिंदा होने से बचते हैं। सरोज प्रजापति ✍️ - Saroj Prajapati
किताब सी हो गई है जिंदगी अब इन्हें पढ़ने की फुर्सत किसे!! सरोज प्रजापति ✍️ - Saroj Prajapati
जिस प्रकार हम गुलाब की खूबसूरती के आगे उसके कांटों को नजर अंदाज कर देते हैं उसी प्रकार इंसान की अच्छाइयों के समक्ष उसकी छोटी-मोटी कमियों को नजरअंदाज करना ही समझदारी है। सरोज प्रजापति ✍️ - Saroj Prajapati
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