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वो आँखों से अपनी शरारत करते हैं वो अपनी अदाओं से कयामत करतें हैं। हमारी निगाहें उनके चहरे से हठतीं नही, और वो हमारी निगाहों की शिकायत करतें हैं। ~आनंद सरिता
भंवर से निकल कर एक किनारा मिला है, जीने को फिर एक सहारा मिला है, बहुत कश्मकश में थी ये जिंदगी मेरी, अब इस जिंदगी में साथ तुम्हारा मिला है -आनंद सरिता
भारत में जन्म और मौत दोनों बिज़नेस बन गए, पैदा होते वक्त सिज़ेरियन से और मरते वक्त वेंटिलेटर से। देस अशिक्षित नहीं कुशिक्षित है.।
ऐ हवाओं सुनो ज़रा पैगामे मोहब्बत न लाओ, अगर मिज़ाज़ इतना आशिकाना है तो मेरे महबूब को ही ले आओ। -आनंद सरिता
काश! कोरोना भी सरकारी फण्ड जैसा होता। जनता तक कम और नेताओं तक ज़्यादा पहुंचता।
क्यूँ ज़माने ने इस कद्र हमसे किनारा कर लिया II तेरे इश्क के सिवा क्या गुनाह खुदारा कर लिया II तेरी शरमा के झुकी निगाहों की कसम साकिया I शीशाए दिल टूटा तो मैकदे का सहारा कर लिया II तेरे संग जीने की तलब में अज़ल तक आ गये I तूने तो रकीब की बाहों का हार गवारा कर लिया II अब कौन कहेगा कि तेरी मुहब्बत तो इबादत थी I खुदा खुदा कर के तूने खुद को आवारा कर लिया II एक तेरे सिवा तो कुछ और माँगा ना था हमने I हमने तो इस शाह दिल को भी बंजारा कर लिया II मेरी पाकीजा मुहब्बत को रुसवा ना कर ‘सरिता’ I ये भी जानती हूँ मैं तूने तो इश्क दुबारा कर लिया II आनंद सरिता
मेरे दिल पर उसके प्यार का उधार रहता है, मेरी आंखों में उसके लिये प्यार बेशूमार रहता है, उसके बिना दिन का चैन गया और रातों की नींद गई, बस धड़कता इस दिल में वो दिलदार रहता है। ~आनंद सरिता
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