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छोटा सा बेशक मेरा आवास हो प्यार का जहां हर पल एहसास हो सूकून भरे एक प्याले चाय की कशिश, दोस्तों को खींच लाए अपनेपन की जहां हर शख्स को आस हो -Sangeeta Gupta
" *उम्र की दहलीज पर* *जब साँझ की आहट होती है* *तब ख्वाहिशें थम जाती हैं* *और सुकून की तलाश बढ़ जाती है।*" *शुभ प्रभात , आपका दिन मंगलमय हो* 🙏🙏🙏 -Sangeeta Gupta
तुम्हारा प्यार, पत्ती पर ठहरी बारिश की नन्हीं सी बूँद, चमकती मोती सी, और ओझल हो जाती हवा के एक झोंके से तुम्हारा प्यार, आकंठ पानी से भरी एक बदली, बरस कर दो पल फिर गुम हो जाती क्षितिज में कहीं तुम्हारा प्यार, इंद्रधनुष सा निकलता, बिखराता रंग और छोड़ जाता लकीर बस एक , धुंधली सी याद की । संगीता जयपुर #तुम्हारा
"दृश्य के पीछे छिपे अदृश्य को भी देख ले तो दृश्य ही बदल जाएगा।" ##संगीता जयपुर #दृश्य
यह मौसम का गीलापन और मन का सुलगना...... सदियों से होता रहा है. बूंदों की ठंडक लिए छूती है हवा तो पोर पोर एक बार फिर बहक जाता है.... उम्र के नंबरों को धकेल कौन याद आने लगता है... छत को भिगोती नन्ही नन्हीं बुंदिया और स्लेटी आसमां,, काई लगी सीढ़ी पर बैठे थे हम तुम ...... भीगे कपड़ों से उठती देह की गंध कभी अजनबी नहीं हुई। गमले का पौधा तृप्ति के एहसास से भरा नया हो गया है...... मैं भी हो जाना चाहती हूं बिल्कुल नई...... इस मौसम में धोकर पिछला सब कुछ , संतोष से भरी भरी प्रेम में तृप्त सी..... हरी और कोमल दूब सी जिस पर एक बूंद ठहर अभी भी चमक रही है...…. ##बारिश कविता ***संगीता गुप्ता जयपुर
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