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ये कैसी परिस्थिति है आंचल जर्जर मां का और बच्चा भूखा... -Jhilmil Sitara
समन्दर कितना भी गहरा और विशाल हो, किनारों से दूर तपती रेत को बरसात की बून्दों का ही आसरा रहता है। -Jhilmil Sitara
जीवन में जब कोई बड़ी मुसीबत आती है, छोटी - छोटी तकलीफ़ें कहीं छुप जाती हैं। -Jhilmil Sitara
डराने के लिए कई बार अंजाम का ख्याल ही काफी होता है। -Jhilmil Sitara
आप सदा मयखाने में तो नहीं रहोगे, ज़रा देख - सम्भल कर लौटना वापस कहीं इंतज़ार का आख़िरी दीया भी बुझ ना जाए। -Jhilmil Sitara
हमारी ख्वाहिशें कभी उन तक नहीं पहुंचती जो अपनी ही नज़र में सर्वश्रेष्ठ होते हैं। -Jhilmil Sitara
इस कद़र घायल हैं अल्फाज़ मेरे, स्याही में डूबकर भी कागज़ पर लहू हो रहे हैं। -Jhilmil Sitara
शब्दों की धारा प्रवाह बहती हुई सरिता हूं मैं, भावनाओं में पिरोई गई कविता हूं मैं। -Jhilmil Sitara
🙏 -Jhilmil Sitara
अनायास ही हाथ रूक गए उस फूल को तोड़ते हुए, जब याद आया अपने गमले में भी एक नन्हा सा फूल खिलने वाला है। -Jhilmil Sitara
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