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हम अपनें ही बारिश में... सवालों के बादल आसपास घिरते रहे। हम अपनें ही बारिश में अक्सर भीगते रहे। हवा का रुख भी आयेदिन बदलता रहा। उम्मीद के दिये को रौंदता, कुचलता रहा। उंगलियों की बिजलियां कड़कड़ाती रही। मेरे तन और मन को जलाती रही। लोग लुफ्त उठाते रहे खिड़कियों से झाँकते रहे। हैरत की बात यही थी कि तुम भी उनमें शामिल रहे। --सुनिल पवार..✍️
सपने.. जागी आँखों के सपनें पलभर सोने नही देते। इक पल भी सुकून को पास आने नही देते। --सुनील पवार..✍️
दिल नही भरता.. दिल नही भरता चाहे बार बार मिलो। कही बिछड़ना ना पड़े ऐसी जगह ले चलो। --सुनील पवार..✍️
बेहतर यही है.. बहती भावनाओं को बचाकर रख लिया जाए मोम के दिल को अब पत्थर बनाया जाए। जरूरत नही है यहाँ किसी की किसी को बेहतर यही है अब अपने लिए जिया जाए। --सुनिल पवार...✍️
पास आकर भी हम.. पास आकर भी हम दूर ही रहे। अपने उसूलों के हाथों मजबूर रहे। --सुनील पवार..✍️
सोचा हुआ था जो कुछ.. सोचा हुआ था जो कुछ वो कभी हुआ नही। जो हुआ उसके बारे में कभी सोचा भी नही। सोच से परे सोच निकली सोच के ये दिल जला। सोच से सोच मिले कभी ऐसा वक्त न कभी मिला। --सुनील पावर..✍️
सलाह.. अपने लिए एक सलाह अब दे रहा हु मैं दुनिया खुद की सोचती है अब वही कर रहा हु मैं। --सुनील पवार..✍️
अगर.. अगर यहीं जवाब है तुम्हारा तो यहीं सही। ज़िंदगी मे तुम्हारे सिवा और भी हैं सवाल कही। --सुनील पवार..✍️
जीवन का उद्देश्य.. जीवन का उद्देश्य परमार्थ है मगर जगह जगह स्वार्थ दिखता है। हर दिन नया ठेला लगता है जहां चंद पैसे में ईमान बिकता है। --सुनील पावर..✍️
पर गम नहीं.. ये वो दौर है जहाँ ज़िन्दगी का इम्तहान सख्त है। पर गम नहीं यही तो सीखनें का मुक़म्मल वक्त है। --सुनील पवार..✍️
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