आप की नज्मों ने भी शरारत की है, पढ़े है हम भी उसे दीवानों की तरह

कोई जब तुम्हारा हृदय तोड़ दे
तड़पता हुआ जब कोई छोड़ दे
तब तुम मेरे पास आना प्रिये
मेरा दर खुला है खुला ही रहेगा

अभी तुम को मेरी जरूरत नहीं बहोत चाहने वाले मिल जायेंगे
अभी रूप का एक सागर हो तुम कंवल जितने चाहोगी खिल जायेंगे
दर्पण तुम्हे जब डराने लगे
जवानी भी दामन छुड़ाने लगे
तब तुम मेरे पास आना प्रिये
मेरा सर झुका है झुका ही रहेगा

कोई शर्त होती नही प्यार में मगर प्यार शर्तो पे तुमने किया
नज़र में सितारें जो चमके ज़रा बुझाने लगी आरती का दिया
जब अपनी नज़र में ही गिरने लगो
अंधेरों में अपने ही घिरने लगो
तब तुम मेरे पास आना प्रिये
ये दीपक जला है जला ही रहेगा

कोई जब तुम्हारा हृदय तोड़ दे
तड़पता हुआ जब कोई छोड़ दे

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तूने जो ना कहा वो मैं सुनता रहा
खामखा बेवजह ख्वाब बुनता रहा

कोई साग़र दिल को बहलाता नही..

बे-ख़ुदी में भी क़रार आता नही..

कोई.. साग़र...

मुझ को इतना बताए कोई
कैसे मुझ को न डांट लगाए कोई

पप्पा ने
मुझ को पढ़ाने में
कर दी है पैसों की
खाली तिजोरियां..

cello की सियाही से लिखी
जाने बरसों की खाता-बहियां..

करियर पे मेरे खर्च है बड़ा
गिनकर जो मैं हिसाब लगाऊं..
दिन बीता सारा netflix पे..
रैन सारी सारी अब पछताऊं..

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मेरे पास आ.. तू मेरे पास आ
तू आगाज़ है मेरे एहसास का

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किस्मत से कैसे लड़ते हम ?
या कहो के
तुम से कैसे लड़ते हम..?

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ज़ख्मों से मरहम का हैं वास्ता
दिल के इन दर्दों का है रास्ता

न जाने क्यूं मिल गए थे..मिल गए है..हम तुम अजनबी
न हुए अजनबी तुम..साथी बन गए..पाई हर खुशी

हमारे थे हमीं को
मिले हो तुम ऐसे
मिली हो जैसे मुझ को..दुनिया मेरी..

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चाय कड़क होनी चाहिए नरम तो मेरा दिल भी है

हम तुम और चाय
दुनिया भाड़ में जाय