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ना ज़मीं देखी थी ना आसमान देखा था.. मां की गोद में थे तो हमने चांद देखा था.. - ऋषिल
ये यादें ना जाएगी हम से तुम्हारी... ऐसे बंधे है के न टूटेगी डोर हमारी... बाहों में आ साथिया ऐसे तू... - ऋषिल
पहले तो स्याही मेरी रात थी और कागज़ मेरे दिन ओ दरख़्त उसी के साये में रहता था अब जब मैं उन्हीं से मुखातिब हूँ मैं ऐसा कुछ कह न दूं कि वो परेशान हो जाए
झगड़ना मेरा ये तुम से था के तुम मेरे या हम तेरे हो गए
rdodiya
દૂર શું ને નજીક શું હંમેશ અને કદીક શું મહોબત કેમ થાય ? શીખવશો તો શિખશું જગથી લડી લઈશું પ્રેમમાં હવે બીક શું પૂછો તો જણાવીએ બાકી બધું ઠીક શું ગમ જેવું તો કઈ નથી દર્દ થશે તો ચિખશું - rushil
सूरज का नाश्ता गर्म गर्म है मुंह न जल जाए देखो चांद की मटकी में है ठंडा पानी घट घट पी लो - rushil
Sanam Ke Dar Pe Nikle Jaan Sanam Ke Dar Pe Dam Nikle Sanam Ke Dar Se Nikle Hum To Nikla Ye Vaham Nikle सनम के दर पे निकले जां सनम के दर पे दम निकले, सनम के दर से निकले हम तो निकला ये वहम निकले - rushil
झगड़ना मेरा ये तुम से था के तुम मेरे या हम तेरे हो गए - rushil
हम ने तुम को बस चाहा तो दुनिया के गम भूले दुनिया के गम भूले आंखें जैसे सागर नदिया झील के रंग में धूले झील के रंग में धूले अटकनी सी ये दीवारें कह रही है अब तो हारे जानम सब तोड़ आयेंगे मुश्किलों की चढ़ती ढलती अंगारों सी राह में जलती मोड़ के चंदा जायेंगे हम ने तुम को बस चाहा तो....
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