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कितनी मासूम हो यार तुम.... इतना मासूम तो "गुलाब "भी नहीं... देना आपको चाहत-ए-गुलाब का तोहफा "रुद्र " कहीं ये उनकी तौहीन तो नहीं...
वो हमारा पता हम से पूछते है नादा इतना नहीं समझते की हम तो उन के दिल में ही रहते है।। कहते है कहाँ हो तुम? अरे हम तो वहीं है जहाँ हो तुम।।
वो केहते है की " उनकी खुशी हमारे खुश रहने मैं है"!!! अब कैसे समझाए उन्हें की "हमारे लिए तो उनका साथ होना" ही सबसे बडी खुशी है।। वो केहते है की "छोड दो हमें " नादान इतना नहीं समझते कि "दिल से धड़कनों का छूटना क्या केहलाता है"!!
उसे किसी की मुहब्बत का ऐतबार नहीं, उसे ज़माने ने शायद बहुत सताया है… तेरी मोहब्बत से लेकर…, तुझे अलविदा कहने तक…, सिर्फ तुझ को चाहा है, तुझसे कुछ नहीं चाहा…!!
न दे सजा मुझे, कि बेक़सूर हूँ मैं, थाम ले हाथ, ग़मों से चूर हूँ मैं, तेरी दूरी के चलते पागल हूँ मैं , और सब कहते हैं कि मगरूर हूँ मैं।
तू.... तू है। मैं.... मैं हूँ।। तूझ से मैं पूरा। मुझ बिन तू अधूरी।। तेरा समर्पण मेरी खुद्दारी। यही तो है प्रकृति और तत्व की बलिहारी।। सूक्ष्म से भी सूक्ष्म है ज्ञान ये यारा मिलन हो जब हमारा तब संपूर्ण हो संसार सारा।।
तेरी उम्मीद,तेरा इंतजार करतें है। ए सनम हम तो सिर्फ तुम से प्यार करतें है।।
जीतनी मासूम है,उतनी नादान है हमारी मुहोब्बत्त। ना गिला है ना शिकवा है बस एक-दूजे के लिए खैरियत -ए-इबादत है
आज कल मौसम बडा इश्किया है!!! कभी याद कभी बात बस बिन मौसम बरसात!!!
हम दिन रात उनके खयालो में रहते है!!! और वो जरा से इंतजार के शिकवे करते है!!!
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