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क़लम एक ख़ामोश जुबाँ होती है।।
खामोशी के भी अपने अल्फाज़ होते हैं
कुछ तो रहा ही होगा तेरे आसमान में, यूं लोग ख़ाली हाथ उठाया नहीं करते। रज़िया मिर्ज़ा
तुम ढूंढ ही लोगे कोई प्यारा-सा ख़ज़ाना। महेनत सही दिल की कभी खाली नहीं जाती। रजिया मिर्ज़ा 'राज़'
वतन को है छोड़ा,शहर ढूंढ़ते हैं। घरोंदों को छोड़ा, वो घर ढूंढ़ते हैं। यहीं था कहीं आशियाँ ,खो गया है। परिंदे पुराना शजर ढूंढ़ते हैं। @रज़िया मिर्ज़ा
शपथ। मैं भारतीय हूं। मैं अपने देशको जी जान से चाहती हूं।सिर्फ़ अपने आपको देशप्रेमी कह देना काफ़ी नहीं है। मेरे अपने देशके प्रति भी कुछ कर्तव्य है। अपने देश के कर्तव्यों का कुछ शपथ लें, और हम वादा करते हैं कि हम सब इसे अमल में लाएंगे। 1 हम शपथ लेते है कि हम संविधान के दायरे में रहेंगे।और इस दायरे में हम अपने देश की धरोहर और अपने राष्ट्रीय ध्वज, प्राणी,गीत,आदिका सम्मान करेंगें। 2 हमारा कर्तव्य है कि हम अपनी आय का टेक्स का बराबर भुगतान करेंगे। 3 हम अपने देशकी एकता और अखंडता को संभालेंगे जिससे और दुश्मन हमारी एकता तोड़ने का प्रयत्न ना कर सके। 4 हम सभी धर्मों का सम्मान करेंगे। 5 जहां कहीं भी काला बाज़ारी, या रिश्वत हमें नज़र आए,तो लांच रिश्वत खाते के अधिकारी को अवगत कराएंगे। और गुनेहगार को सज़ा तक पहुचाएंगे। 6 रॉड परिवहन के कायदों पर अमल करेंगे। 7 हम एक जागृत नागरिक की तरहां अपने गांव शहर के नागरिकों को स्वच्छ और सुंदर पानी-आबोहवा के लिए वृक्षारोपण जैसे कार्यक्रमो द्वारा जागरूकता लाएंगे। 8 सरकार के हर कार्य में हम नागरिक कंधे से कंधा मिलाकर साथ देंगे। वंदे मातरम
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