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तुम्हारी खैरियत पूंछू तो आखिर किससे पूछूं.. कोई मेरा दोस्त भी नही है तुम्हारी तरफ का ..
फिक्र इतनी कि तुम्हें ख़ुश देखना हैं.. बेफिक्र इतना चाहे किसी के साथ रहो.;
उजड़ी बस्तियों में किसको ढूंढ़ते हो, बर्बाद लोग अक्सर चाय की दुकान पर मिलते हैं।
दुनिया वाले कहते हैं कि तू हर किसी का दिल जीत लेता है.... पर उन्हें क्या पता मैं तो अपना भी हार बैठा हूं....
मैं उससे झगड़ने गया था उसने चाय का पूछकर पूरा मामला ही पलट दिया
क़िरदार देख कर लोग मुरीद हो जाते हैं, हम जबरदस्ती दिलों पर कब्ज़ा नहीं करते......
दूसरी मोहब्बत अक्सर उसी से होती है.. जिसे आप पहली मोहब्बत का... रोना सुना रहे होते हैं...
शुक्र है... परिंदो को नहीं पता की उनका मज़हब क्या है। वरना रोज आसमान से खून की बारिश होती...
क्यूँ उदास हो क्यूँ निराश हो पल भर भी क्यूँ नहीं मुस्कुराते हो इतना क्यूँ बोलने से कतराते हो क्या चुप चुप बेठे रहते हो क्यूँ सब छुपाते हो क्यूँ अकेले अकेले रोते हो ऎसे केसे रह लेते हो सारा दर्द अकेले ही सह लेते हो क्यूँ सिमटे से रहते हो
जिसका__हक है उसी का रहेगा---मौहब्बत चाय नहीं जो सबको पिला दी__जाए..!!
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