The Download Link has been successfully sent to your Mobile Number. Please Download the App.
Continue log in with
By clicking Log In, you agree to Matrubharti "Terms of Use" and "Privacy Policy"
Verification
Download App
Get a link to download app
जब ढूंढते-ढूंढते,थक जाओ दो घूट इश्क तो समंदर से बाहर निकल कर कुएं, बावड़ी और नदियों में ढूंढना वह टपक रहा होगा किसी नलके के मुंह से- चू रहा होगा पनघट की कज्जी से-
दो इलेक्ट्रॉनों को आपस में टकराते हुए देखा है कभी! देखा है कभी! उड़ते हुए पक्षी को गुरुत्वाकर्षण के प्रभाव से ज़मी पर गिरते हुए। देखा है तुमने, उसे हंसते हुए मुस्कुराते हुए! अनायास ही स्वप्न में तीतर पकड़ते हुए। क्या देखा है? तुमने अंधी कानून की देवी के हाथों में तराजू और देखा है! तुमने उसमें छेद करते हुए नेताओं को और कभी देखा है कानून को तराजू की मानिंद लुढ़कते हुए। बेशक, ना देखा हो। क्योंकि तुम अंधे हो! पर उन बच्चियों ने देखा है एक स्वप्न जो उनकी मुट्ठीयो में कैद है।
उड़ते हुए परिंदे को जब नोच लेता है, परिंदा इंसानों की हैवानियत देख कांप रहा है दरिंदा व्यवस्था गई कूड़ेदान में कानून है क्या जिंदा? जंगलराज की मांग करती बेटियां है शर्मिंदा #बेटियाँ
परिभ्रमणशील तरणी आएगी, तेरे दरबार में फिर क्यू बैठी है व्याकुल-सी, मेरे इंतज़ार में
प्रेम करना और बिछड़ जाना अखरता हैं जैसे मेघ दिन रात बरसता हैं जैसे लहरों की चपेट में आकर तिनका किनारे पर आने के लिए तरसता है। वैसे ही क्वांटम रेल्म में फंसकर दिल कोई तड़पता है। #love #sad #lovequit
जैसे बहती है रेत समंदर की लहरों में- टकराती है,परस्पर करती है बातें....... उन दो लोगों की जो करते हैं बातें पागलो की....... जो प्यार में है! खुश है!
धागे के बंधन को उसने झिटक दिय। भौतिकी के तनाव का नियम काम कर गया धागा टूट गया। मेरे धागे का हिस्सा मैं हार गया वो लूट गया।
मरहूम हवाओ का क्या गुनाह रूख बदला तो महक ले आई। उन्हें इल्म कहां आलम-ए-लम्हत का उनका दिद हुआ,तो इश्क का पेगाम ले आई।
Copyright © 2024, Matrubharti Technologies Pvt. Ltd. All Rights Reserved.
Please enable javascript on your browser