Quotes by Radhey Shreemali in Bitesapp read free

Radhey Shreemali

Radhey Shreemali Matrubharti Verified

@radheyshreemali638039
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“परम भागवत भक्त प्रह्लाद” संपूर्ण कथा 👇🏻
https://www.matrubharti.com/novels/38431/param-bhagwat-prahlad-ji-by-praveen-kumrawat

भारतवर्ष के ही नहीं, सारे संसार के इतिहास में सबसे अधिक प्रसिद्ध एवं सबसे अधिक महत्त्वपूर्ण वंश यदि कोई माना जा सकता है, तो वह हमारे परम् भगवत भक्त दैत्यर्षि प्रहलाद का ही वंश है। सृष्टि के आदि से आज तक न जाने कितने वंशों का विस्तार पुराणों और इतिहासों में वर्णित है किन्तु जिस वंश में हमारे महाभागवत् का आविर्भाव हुआ है, उसकी कुछ और ही बात है। इस वंश के समान महत्त्व रखने वाला अब तक कोई दूसरा वंश नहीं हुआ और विश्वास है कि भविष्य में भी ऐसा कोई वंश कदाचित् न हो।

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नाम जप साधना। संपूर्ण जानकारी👇🏻
https://www.matrubharti.com/novels/41993/naam-jap-sadhna-by-charu-mittal

नाम जप का बहुत महत्व है। यह एक सरल, सहज और शक्तिशाली साधना है जो मन को शांत करती है, एकाग्रता बढ़ाती है, और सकारात्मक ऊर्जा का संचार करती है, नाम जप से पुराने कर्मों के बंधन कटते हैं, और व्यक्ति को आध्यात्मिक ज्ञान प्राप्त होता है।

नाम जाप के अनंत लाभों को लिखकर बताना संभव नहीं हो सकता क्योंकि भक्तों ने भगवान नाम जपने से इतने लाभ प्राप्त किए हैं कि इसे खोजने निकल पड़े तो लाखों जन्म भी कम पड़ जाए।

महर्षि नारद मुनि एक काल में विद्याहीन, बलहीन, दासीपुत्र हुआ करते थे, संतो के संगती और भगवान नाम जप से उन्हें देवर्षि पद प्राप्त हुआ, भगवान के परम भक्त प्रह्लाद निरंतर हरी नाम सुमिरन करते थे। प्रह्लाद ने बाल्यावस्था में ही भगवत प्राप्ति कर ली, भगवान ने हिरण्यकश्प से प्रह्लाद के प्राणों की रक्षा की, प्रह्लाद अंतिम समय में मृत्यु लोक छोड़कर भगवान के परम पूज्य धाम वैकुंठ में गए। महाभारत काल में मैत्रेय ऋषि की कथा है कि भगवान नाम के प्रभाव से वे एक कीड़े से ज्ञानी महर्षि में परिवर्तित हो गए।
भगवान नाम जप के लाभों पर ऐसी असंख्य कथाएं है।

भगवान नाम सुमिरन से ही भक्तों के जीवन में कई अद्भुत लाभ हुए हैं।
एक बार की बात है तुलसीदास जी नाम जाप कर रहे थे, एक व्यक्ति ने उनसे पूछा “कभी-कभी कर्म बंधन या आलस के कारण भक्ति करने का मन नहीं करता फिर भी भगवान का नाम जप करते हैं, क्या इसका कोई लाभ प्राप्त होता हैं?

तुलसीदासजी ने उत्तर देते हुए कहा:
तुलसी मेरे राम को रीझ भजो या खीज।
भौम पड़ा जामे सभी उल्टा सीधा बीज।।
अर्थात् : जब भूमि पर बीज लगाए जाते हैं, तब प्रकृति यह नहीं देखती की बीज उल्टे पड़े या सीधे, कालांतर में सभी बीज अंकुरित होकर, भूमि के उपर निकल आते हैं,

भायँ कुभायँ अनख आलस हूँ।
नाम जपत मंगल दिसि दसहूँ॥
अर्थात् : नाम जप करते हुए अगर रुचि नहीं है, आलस आ रहा हैं, मन नहीं लगता हैं, तब भी नाम जप कीर्तन करने से फल मिलता ही हैं।
जय श्रीराम🙏🏻

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