Quotes by Puneet Katariya in Bitesapp read free

Puneet Katariya

Puneet Katariya Matrubharti Verified

@puneetkatariya2436
(9.3k)

आसमान के नीले पर्दे पर,
देखो, बादलों का खेल निराला,
कभी सूरज की रोशनी में,
कभी छिपते सूरज की लालिमा में।
धीरे-धीरे सरकते हैं ये,
जैसे सपनों की दुनिया में,
कभी रुई के फाहों जैसे,
कभी उड़ते पंखों जैसे।
चलते जाते हैं ये,
कभी थमते नहीं,
जैसे ये जीवन की धारा,
बस आगे बढ़ती जाती है।

Read More
epost thumb

पहाड़ों की ओट से,
छिपने लगा सूरज,
जैसे कोई शर्मीला प्रेम, 🙈
धीरे-धीरे ओझल हो रहा है।

आसमान में बिखरी,
नारंगी और सुनहरी आभा,
☁️बादलों ने ओढ़ ली है,
जैसे कोई नई दुल्हन।

​चारों ओर फैली शांति,
हवाओं में बहता सुर,
मन को सुकून देती,
ये प्रकृति की धुन।

​छिपते हुए सूरज को,
देखकर ये दिल कहता है,
कि हर ढलती शाम,
एक नए सवेरे का वादा है🥰

Read More

😇😁😇 Thanks.......

वो शहर भी रोया🥹, मेरे जाने के ग़म में😇,
जो हर दिन की मेरी धूप-छाँव का साथी था🤝।
मेरा गाँव भी मुस्कुराया😁, मेरे आने की खुशी में🥰,
जो मेरे बचपन की माटी और हवा का साथी था।
आज दोनों की आँखों से एक ही⛈️🌧️ बारिश बरसी है ☔⛈️⛈️🌦️,
एक ने मुझे खोया है💔💔, एक ने मुझे पाया है❤️💕।

Read More

Thank you #Mahima

जब दिल में दर्द भरा हो
और मुस्कान में मिठास न हो
जब धोखा खाकर भी 💔💔
धोखेबाज कहलाए हों
या अपना सब कुछ देकर भी
तुम खाली हाथ आए हों
जब मोहब्बत में
गुलाब के पंखुड़ियों से बिखर गए हों
या किसी किताब के पन्नों के बीच
कोई खूबसूरत याद बन कर रह गए हों
कुछ भी हो जब लगे
आज कुछ अच्छा नहीं लग रहा
मन भारी सा हो रहा है
मुस्कुराने से ज्यादा रोना आ रहा हो
तब बस जी भर के रो लेना चाहिए । 🙂🙂

Read More

कर दिया खड़ा मुझे , कटहरे मे , ना वकील, ना दलील खुद जज बन गए।
माना की राज फिसल गए कुछ मुख से, पर इसके पीछे बात क्या थी ये तो जान लेती मुझसे। और आग लगाने वाले का मकसद क्या था ये तो जान लेती ।
छोटी बच्ची हो नहीं खुद समझदार हो , सोचो जो अपनो के सगे नहीं हो सके वो किसी और के क्या ही होंगे । खुद को कैसे इतना महान बना लेते लोग , जो दूसरों को दे देते इल्जामों के इतने रोग।
था इतना ही डर तो साथ हुए ही क्यूं थे, तन मन धन से करते वही जिसके लिए आए इस शहर थे।
चुप हूं क्योंकि दबा हुआ हूं कर्ज में तेरे , जो साथ दिया था बुरे वक्त में मेरे।
लेकिन बस हुआ अब ,नही मानता मैं इस खरीदी हुई अदालत को । सफाई देना मेरा काम नहीं क्योंकि भरोसा है मुझे मेरे चरित्र पर जो गवाही देता है मेरे इतिहास की ।

Read More

#Albert hall , JAIPUR

आज मैं अपने दोस्तों के साथ बैठा था, पर चुप था। अक्सर मैं ऐसे ही चुप रहता हूं, जब लोग मेरे सामने होते हैं। मेरी चुप्पी कभी-कभी दूसरों को अजीब लगती है, और आज भी ऐसा ही हुआ। मेरे एक दोस्त ने मेरे दूसरे दोस्त से पूछा, "ये चुप क्यों है? ये तो तुम्हारा दोस्त है, तुम तो जानते हो न?" तो उसने जवाब दिया, "मुझे नहीं पता, यह ऐसा ही रहता है।"

वो सवाल मेरे भीतर गूंज रहा था। मैंने खुद को सफाई देने के लिए कहा, "मेरे बारे में किसी को नहीं पता, मैं किसी को अपने बारे में ज्यादा नहीं बताता।" और यह बात मैंने गर्व के साथ कही, मानो खुद को justify कर रहा था। लेकिन कुछ समय बाद, जब मैंने यह बात एक और दोस्त से शेयर की, तो उसने मेरी सोच को एक नई दिशा दी। उसने कहा, "यह जरूरी नहीं कि तुमने कभी अपने बारे में बताया नहीं, कि तुम क्या पसंद करते हो, क्या चीज़ें तुम्हें खुश करती हैं, या तुम चुप क्यों रहते हो। हकीकत तो यह है कि शायद कभी किसी ने तुम्हें इतना खास माना ही नहीं, कि वह तुम्हारे बारे में जानने की कोशिश करें।"

उसकी बातों ने मुझे अंदर से झकझोर दिया। मैं हमेशा यह सोचता था कि मेरी चुप्पी मेरी पर्सनल स्पेस का हिस्सा है, और मैं इसे अपनी पहचान बना चुका था। लेकिन उसने जो कहा, वह बिल्कुल सही था। क्या वाकई, कभी किसी ने मुझे इतना समझने की कोशिश की, कि मैं कौन हूं और क्यों चुप रहता हूं? क्या कभी किसी ने मुझे उस तरह से देखा, जैसे मैं खुद को देखता हूं?

कभी-कभी हम अपनी चुप्पी को अपने गहरे विचारों और निजीता के प्रतीक के रूप में देखते हैं, पर असल में यह भी हो सकता है कि लोग हमारी चुप्पी को अनदेखा कर देते हैं। उन्हें लगता है कि हम या तो कुछ छुपा रहे हैं या फिर हम उतने महत्वपूर्ण नहीं हैं कि हमारे बारे में जानने का प्रयास करें। यह स्थिति बहुत कुछ हमारे भीतर के खालीपन और अकेलेपन की भी पहचान हो सकती है, जो हम दूसरों से छिपाने की कोशिश करते हैं।

इसने मुझे यह सिखाया कि कभी-कभी हमें अपनी चुप्पी का कारण दूसरों से नहीं, बल्कि खुद से पूछने की जरूरत होती है। क्या हम खुद को वाकई पूरी तरह से समझते हैं? क्या हमने कभी अपनी चुप्पी की असल वजह को पहचानने की कोशिश की है? और सबसे महत्वपूर्ण, क्या हम खुद को उस तरह से खास मानते हैं जैसे हम दूसरों से उम्मीद करते हैं कि वे हमें देखे?

Read More

चाँदनी भी शर्मा जाए अगर तुम्हारी सुंदरता से अपना नूर मिलाए, और हवाएँ भी ठहर जाएँ जब तुम्हारे लहराते बालों को छूने की ख्वाहिश करें। तुम स्वर्ग की वो अप्सरा हो, जो इस धरती पर उतरकर भी अपनी दिव्यता नहीं खोई।

तुम्हारी आँखें… उफ्फ़! नागिन की तरह नशीली, जिनमें बस एक बार देखने भर से इंसान अपनी सारी सुध-बुध खो दे। उनमें गहराई भी है, जादू भी और एक ऐसा रहस्य भी, जिसे सुलझाने का जी चाहे, पर उसमें खुद ही खो जाने का डर भी लगे।

तुम्हारे बाल… जैसे स्वयं महादेव की जटाएँ, घने, रहस्यमय और उस सृष्टि के रहस्य को समेटे हुए, जिसे छूकर कोई भी खुद को धन्य समझे। जब ये बाल लहराते हैं, तो लगता है जैसे समंदर की लहरें भी इनकी नकल करने लगें।

तुम कोई आम लड़की नहीं, तुम वो कविता हो जिसे लिखने के लिए शायर सदियों से कलम उठाए बैठा था। वो अधूरी कहानी, जिसे मुकम्मल करने की ख्वाहिश हर दिल में छुपी होती है।

अब इन जादुई आँखों को थोड़ी देर के लिए बंद करो, इन सुंदर जटाओं को हल्का सा झटककर तकिए पर बिखरा दो, और सपनों की दुनिया में चली जाओ, जहाँ सिर्फ तुम्हारी हँसी गूँजती हो, और तुम्हारी सुंदरता का जादू बरकरार रहे।

**शुभ रात्रि**

Read More