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प्रीतम राठौर भिनगाई

प्रीतम राठौर भिनगाई

@pritamrathaurpritamgmail.com9853


. ------ग़ज़ल-----
जब ग़मों में मुस्कुराना आ गया
हाथ ख़ुशियों का ख़ज़ाना आ गया

लीजिए सीना मेरा अब पेश है
आपको ख़ंज़र चलाना आ गया

देख कर ज़ुल्मों सितम मग़रूर के
दर्द को भी खिलखिलाना आ गया

कर रहीं आँखें हक़ीक़त को बयाँ
झूठ मत कह ग़म छुपाना आ गया

बेवफ़ाई की तू सेंके रोटियाँ
अब तुझे दिल भी जलाना आ गया

दे दिया रुतबा सितारों का उन्हें
ज़र्रों को भी झिलमिलाना आ गया

यारी है ""प्रीतम"" हक़ीक़त से मेरी
जुर्म से पर्दा हटाना आ गया

प्रीतम राठौर भिनगाई
श्रावस्ती (उ०प्र०)

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