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Prakash Jha

Prakash Jha

@prakashjha5165


पूर्णमासी की चाँद और बलखाती, बहती नदी की मुलाक़ात, rare तो है ही और शायद इसीलिए, अद्भुत भी!

हाल ही में पढ़े एक किताब की कुछ lines, काफ़ी apt व्याख्या करते हैं इस rare मीटिंग और भागते समय से उत्पन्न हुए बेचैन भावनाओं कि ~


हर अधूरी मुलाकात एक पूरी मुलाकात की उम्मीद लेकर आती है। हर पूरी मुलाकात अगली पूरी मुलाकात से पहले की अधूरी मुलाकात बनकर रह जाती है।

प्रकाश झा

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खाड़ी के अंत पर हवाओं की गति काफ़ी तीखी थी और बस्तियों से होकर गुज़र जाने के बाद वाली हवा से बहौत ताज़ी, मन में सम्पूर्ण शांति थी और विचारों के नाम पर सब शून्य था।

गूंज़ रहे थे दधकन!

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