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Anticpiece

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@pradeepkumaryadav132gmail.com071253


दोस्ती...
एक अजीब शब्द है ना जाने कितने रिश्तों को साजोता है... ना जाने कितने फर्ज़ निभाता है और ना जाने क्यों अंत तक आते आते सारी उम्मीदें इसी पर आकर अपना मुकाम तय करती है... अजीब सा एहसास होता है ये...
सच कहे तो दोस्तो के बिना जिंदगी अधूरी है... पता है ये ऐसा रिश्ता होता है जो अपने होने का दावा नहीं करता बस अपना एहसास दिला जाता है.... कभी हम कही मुसीबत में फसे होते हैं और कोई अजनबी आकर हमारी मदद करता है तो.. हमारे दिल मे जो सबसे पहला रिश्ता पनपता है वो होती है दोस्ती कितनी अजीब बात है ना...सबकी लाइफ में एक जिगरी यार होता है मेरी लाइफ में भी है पर वो कोई एक नहीं है सबके सब साले जिगर के टुकड़े है उन टुकड़ों में एक अनमोल रतन है जो यार और दोस्ती शब्द से कही बढ़के है या ये कह लो जान बन गया है कुछ दिनो में वो मेरी वो भाई बोलता है तो लगता गले लगा लू साले को जैसा नाम है उसी के अनुरूप उसका गुण भी है.. देखने मे एकदम शांत और भोला भाला है और दिल का एकदम साफ..
लगता है भगवान ने एकदम फुर्सत मे बनाया होगा ना जाने क्यों मेरी वो बहुत कदर करता है मुझे आज तक समझ नहीं आया.. पहली बार मुझे किसी ने एहसास दिलाया था कि लोग मुझे कितना पसंद करते हैं.. उसके कई सारे दोस्त होंगे पर मुझे जहा तक पता है मै उन दोस्तो में से उसके लिए उतना ही खास हू जितना कि वो मेरे लिए...
मै जब भी बाहर रहता हूँ तो अक्सर पूछता रहता है कि मै कब घर आऊँगा मेरे गाव वापस आते ही उसकी चेहरे पे खुशी की ऐसी लहर दौड़ती है जैसे छोटे बच्चे को उसका मनपसंद खिलौना मिल गया हो वो मेरे किसी भी काम को मना नहीं करता है हर पल हर वक्त मेरे लिए खड़ा रहता है मेरी आधी जुबान पर भी रात के 12 बजे मुझे लेने शहर तक आने के लिए तैयार हो जाता है मुझपे जान छिड़कता है और मै भी बिना कुछ सोचे समझे अपने सारे राज उसके सामने खोल देता हूं और वो चुपचाप सुनता जाता है जैसे उसे इन्तज़ार रहता हो मेरी बाते सुनने का उसे कहानीया बहुत पसंद है अपनी लाइफ की हर कहानी मे मुझे हीरो वाला रोल देता है पर उसे शायद नहीं पता मेरी मेरी कहानी के किरादारो मे वो सबसे अहम पात्र हैं.. हाँ वो इस कहानी का हीरो है हीरो
विष्णु यही नाम है उसका बिल्कुल नाम के अनुरूप मंत्रमुग्ध कर देने वाला चेहरा और चेहरे पे मुस्कान मानो सुबह के वक्त निकलने सूरज की लालिमा भरी किरणे जिससे चारो तरफ खुशहाली फैल जाती है.. जब भी मैं मुंबई से घर आता हूँ मेरा आधा से ज्यादा टाइम उसी के साथ बितता है...
उसकी तारीफ मे जीतने शब्द कहु उतने कम है अगर मै ऐसे लिखता रहा तो शायद ही कभी खतम हो उसकी तारीफ.. पर जो है जैसा है बेमिसाल है वो....
#Antic_piece

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