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Parth

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@pkgovrani


तेरी ज़रुरत है मुझको,

मेरी कविताओं को देने शीर्षक के लिए तेरी ज़रुरत है मुझको,
बस बेइन्तहा मोहब्बत करने के लिए तेरी ज़रुरत है मुझको,
देर रात तक बहोत बातें करने के लिए तेरी ज़रुरत है मुझको,
दिल खोलकर सब कुछ कहने के लिए तेरी ज़रुरत है मुझको,
अब से पापा का ख्याल रखने के लिए तेरी ज़रुरत है मुझको,
घर काम में माँ का हाथ बटाने के लिए तेरी ज़रुरत है मुझको,
- पार्थ गोवरानी

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कौन हो तुम!

जिंदगी में सबको खुश रखना मुमकिन नहीं होता,
फिर भी सबको खुश रखने वाली कौन हो तुम!
हर बार किसीको समज लेना मुमकिन नहीं होता,
परंतु हर बार मुझे समझने वाली कौन हो तुम!
अपेक्षाओं पर खरा उतरना इतना मुमकिन नहीं होता,
मुझे शिकायत का मौका न देने वाली कौन हो तुम!
सारे अपनोको संभालना कभी मुमकिन नहीं होता,
फिर भी हर बार मुझे संभालने वाली कौन हो तुम!
किसीकी एक आदत बदलना मुमकिन नहीं होता,
मेरे सारे पहलूओं को बदलने वाली कौन हो तुम!

- पार्थ गोवरानी

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