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अगर दम है तो चल डूबा दे मुझको समंदर नाकाम रहा अब तेरे आँखों की बारी।
उसने पुछा कोनसा तोहफा दू तुम्हे? मेने कहा वही उष्ण दोहपहर और वही शीत शामें जो अबतक उधार हे।। ❤️❤️ #उष्ण
आपकी खुशियो के हर एक ठिकाने जाने हमने मगर आप हमारी बेचेनी की एक वजह भी नहीं जान पाए।
राख को भी कुरेद कर देख लो अभी भी कोई पल जलता होगा शायद।
ख्वाईशो को जेब में लेकर निकाला कीजिये जनाब खर्चा बोहत होता है मंज़िलो को पाने में। ~Alfaz ka safar
तेरी चुप्पी अगर तेरी मजबूरी है तो रहने दे इश्क़ कौनसा जरूरी है ~Alfaz ka safar
नहीं चाहिए कुछ भी तेरी इश्क़ की दुकान से हर चीज़ में मिलावट हे बेवफाई की ~Alfaz ka safar
चले जायेंगे तुजे तेरे हाल पर छोड़कर कदर क्या होती है ये वक्त बतायेगा ~Alfaz ka safar
शायद इश्क़ उतर रहा है सर से मुझे अल्फ़ाज़ नहीं मिलते शायरी के लिए 💔
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