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Pallavi Budhawant

Pallavi Budhawant

@pallavibudhawant010549


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#Kavyostav

खा़मोश से चेहरे देखे होंगे तुम ने कई
जुन्ज रहे होंगे खा़मोशी से किसी
अपने ही दर्द भरे तन्हाई में कई |
यूं तो चेहरे पर एक हलकीसी मुस्कान थी,
जो आंखो तक आयी ही नहीं |
दर्द के बादल गऱज रहे थे दिल में,
लेकिन आंखों से बरसात हुई नहीं ||


- पल्लवी बुधवंत

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#Kavyostav
#दोस्ती

शीर्षक - 'अजनबी से दोस्ती अच्छी होती है......'

कुछ ही पल का सफर ‌‌‍होता है
जो दो अजनबी एक दुसरे के नाम कर देते है|
दिल का सारा बोज़, सारा डर
सब कुछ उस पल में निकल जाता है|
एक रूहानी सा रिश्ता और बहुत कुछ
उस पल में कैद हो जाता है|
अजनबी के सामने तुम
बेजिज़क सब कुछ कम देते हो|
क्या सोचेगा अब वो,ये सब तुम ना सोचते हो|
जब दो लोगों के बीच सारी बाते सच्ची होती है|
इसलिए शायद अजनबी से दोस्ती अच्छी होती है ||

जिंदगी के इस भागादौडी में दो पल का सुकून
शायद अब तुम अजनबी में खोज लेते हो|
बाते जो तुमने ना कही हो किसी से
अजनबी के सामने ये सब आसान लगता है कहना|
शायद आसान होता है अजनबी के सामने
खुद को यूं खुली किताब की तरह पेश करना|
वो तुमसे रुठे इतना साथ तुम्हारा होता नहीं है
गलतफैमियां हो तुम्हारे बीच इतने वक्त
वो सफर चलता भी तो नहीं है|
वो तो बस कुछ बाते सुनता है तुम्हारी
तो कुछ अपनी बाते सुनाता है|
तब दो लोगो के बीच सारी बाते सच्ची होती है|
इसलिए शायद अजनबी से दोस्ती अच्छी होती है ||

ये सब अजीब लगे शायद तुम्हे
दोस्त,अपनो के होते हुए अजनबी से दोस्ती क्यों?
ये सवाल बार बार शायद आये तुम्हारे मन में
तो होता ये है जनाब,
'कुछ बातें हम अपनों को बता नहीं पाते
तकलीफ़ ना हो ये सोच कर हमेशा ही चुपचाप रह जाते|
गुस्सा, दर्द ऐसे जज्बात पल दो पल के ही तो होते है
वो बह जाये तो अच्छा है|
पल दो पल के जज्बात बस जज्बात ही तो थे
इस बात को कोई समझ जाये तो अच्छा है|
कभी कभी अपनों को समझने में थोडीं देर लगती है
चिजें सुलझने के बजाय और भी उलझने लगती है|
हर बार आप को किसी के नसिहत या हिदाय़त
की जरुरत नहीं होती|
कोई सिर्फ आपकी बातें सुनें
उस बात को समझे,परखे पर कुछ नतिजें पे ना पहुंचे|
इतनीसी ब़स इस दिल की गुजारिश होती है|
ये बात कोई समझे या ना समझे
पर अजनबी बखुबी समझ लेता है|'
इसलिए हि तो कहती हूं जनाब,
अजनबी से दोस्ती अच्छी होती है ||

इसलिए अगली बार जब भी तुम्हे मौका मिले
तो किसी अजनबी को अपना दोस्त बना लेना|
चंदभर का वो हसीन सफर
उसके साथ तुम तय कर लेना|
'अकेले नहीं हो तुम,साथ चलती है तुम्हारी परछाई|'
कुछ और ना सही पर ये बात वो तुम्हे समझा देगा |
राह़ चलता हर वो अजनबी मंजिल तक तो
साथ तुम्हारा न दे पायेगा
बस चंद पलो का वो तोहफा देकर तुम्हे,
अपने ही सफर पर चला जायेगा ||

‌ - पल्लवी बुधवंत

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