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એવો ભટકી ભટકીને મળ્યો તને તુંય સંભાળી ના શકી એક આરઝું સોનુ ધોળિયા
છુટાછેડાની અરજીમાં હિન્દુ મેરેજ એક્ટની કલમ ૨૪ની અરજી મુજબ વચગાળાનું ભરણ પોષણ મંજુર કરતા વેરાવળના ત્રીજા એડિશનલ સિનિયર સિવિલ જજ રૂંજા સાહેબ. નામદાર કોર્ટે અરજદાર ભાવેશભાઈ ભીખાભાઈ રાઠોડ કે જેણે હિન્દુ મેરેજ એક્ટ મુજબ છૂટાછેડાનો દાવો સામા વાળા એટલે કે તેના પત્ની કાજલબેન વા./ઓ. ભાવેશભાઈ રાઠોડ ઉપર કરેલ હતો અને આ દાવા દરમિયાન સામેવાળાએ હિન્દુ મેરેજ એક્ટની કલમ ૨૪ મુજબ વચગાળાનું ભરણપોષણ મેળવવાની અરજી કરેલ હતી અને તે અરજી અંશત: નામદાર કોર્ટે મંજૂર કરેલ અને સામાવાળાના વિદ્વાન એડવોકેટ શ્રી સી.વી.ધોળિયા સાહેબની રજુઆતોને નામદાર કોર્ટે ગણકારી અને માસિક રૂપિયા 3,500/- અરજીની તારીખથી અને અરજી ખર્ચના અલગથી રૂપિયા 5,000 પુરા ચૂકવી આપવાનો હુકમ ફરમાવેલી છે. ઉપરોક્ત કેસમા વકિલ શ્રી સી. વી. ધોળિયાની કાયદાકીય મદદ ઝાકીરભાઈ સુમરા અને કાયદાનો અભ્યાસ કરતાં અરૂણભાઈ ધોળિયાએ કરેલી.
હજી પણ એજ અવસર છે મારી આંખોમાં, ત્યારે તું રડી હતી એક મારા માટે.
હું કોઈ સમજાવેને સમજું એ કેવો પ્રેમ ? હું ' માં ' ને પણ વોટ્સેપ સ્ટેટ્સ જોઈ પુંજુ શું એવો પ્રેમ ? સોનુ ધોળિયા.
advocate sonu dholiya. mo. 91068 29198
मुल्ला नसरुद्दीन इंग्लैंड घूमने गया। लंदन हवाई अड्डे से होटल की दूरी लगभग दस मील थी। नसरुद्दीन को बोर होता हुआ देख टैक्सी ड्राइवर बोला : “आपको होटल तक पहुंचने में करीब आधा घंटा लगेगा, तब तक आप कहीं ऊब न जाएं, इसलिए आपसे एक सवाल पूछता हूं; सवाल बड़ा कठिन नहीं है!” मुल्ला ने कहा : “पूछो—पूछो! मेरे लिए कुछ कठिन नहीं है?” टैक्सी ड्राइवर बोला :”मेरे मां—बाप की एक ही संतान है, जो न मेरा भाई और न मेरी बहन है; बताइए वह कौन है?” नसरुद्दीन बड़ी उलझन में फंस गया। उसने बहुत सिर मारा, लेकिन समझ ही न आए कि ऐसा हो ही कैसे सकता है! मां—बाप की संतान या तो भाई होगा या बहन होगी। अंततः सोचते—सोचते समय बीत गया, होटल आ गया। ड्राइवर ने व्यंग्य से पूछा : “कहिए, महाशय जी! मैंने पहले ही कहा था न, सवाल बड़ा कठिन है; अच्छे—अच्छों को जवाब नहीं सूझता!” बेचारे मुल्ला ने हार मान ली। ड्राइवर ने बताया, “अरे, सीधी—सी बात है, मैं खुद अपने मां—बाप की संतान हूं, एकमात्र, मगर न मैं खुद का भाई हूं, न खुद की बहन हूं।” जब नसरुद्दीन भारत वापस आया तो उसके मित्रों ने वापस लौटने की खुशी में एक पार्टी दी। मौका मिलते ही मुल्ला ने दोस्तों से वही सवाल पूछा। वह तो मौके की तलाश में ही था। बोला : “यारो, एक प्रश्न पूछता हूं। मेरे मां—बाप की एक औलाद है, जो न रिश्ते में मेरा भाई लगता है और न बहन लगती है, तो बताओ वह कौन है?” इस प्रश्न को सुनकर ढब्बूजी ने दांतों तले अंगुली दबा ली, चंदूलाल अपनी चांद पर हाथ फेरने लगे और मटकानाथ ब्रह्मचारी अपनी भारी—भरकम तोंद पर। भोंदूमल से तो फिर कोई आशा ही न थी। सबने पराजित होकर कहा : मुल्ला, तुम्हीं जवाब दो, हमारी तो अक्ल काम नहीं करती, कि जो तुम्हारे मां—बाप की ही संतान है, किंतु न तुम्हारा भाई है, न बहन है, तो आखिर वह कौन हो सकता है फिर?” गर्व से छाती फुलाकर नसरुद्दीन बोला : “अरे, वही लंदन का टैक्सी ड्राइवर!” उधार ज्ञान बस ऐसा ही हो सकता है। वह तुम्हारी प्रतिभा नहीं। वह तुम्हारी प्रज्ञा नहीं। वह तुम्हारा बोध नहीं। तुम दोहरा सकते हो, लेकिन दोहराने से तुम्हारे जीवन में कोई क्रांति घटित नहीं हो सकती है। और मैं चाहता हूं तुम्हारे जीवन में क्रांति घटित हो। मैं चाहता हूं तुम्हारे भीतर पड़ा हुआ बीज वृक्ष बने। फूल बने। *राम दुवारे जो मरे👣ओशो* 🌹🌹
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