Quotes by Nikul Nadoda in Bitesapp read free

Nikul Nadoda

Nikul Nadoda

@nikulnadoda7982


“વિચાર મંથન”।
फ़ौज बनाई नेताजी ने,
जेल सावरकर जी गए,
लाठिया लाला जी ने खाई,
फाँसी भगत सिंह को हुई,
गोली आजाद जी ने खाई ...
છતા લોકો કહે છે...
आजादी चरखे से आयी ???

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इस द्वार क्यों न जाऊं, उस द्वार क्यों न जाऊं
घर पा गया तुम्हारा मैं घर बदल-बदल के
हर घाट जल पिया है, गागर बदल बदल के...

एक बरस हुआ!
जाने क्या बात थी निकुल के गुनगुनाने में!
scorpions

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फ़िराक़ साहब की भाषा बड़ी सहज और सरल रही, दैनिक जीवन के कड़वे सच और आने वाले कल के प्रति उम्मीद, दोनों को भारतीय संस्कृति और लोकभाषा के प्रतीकों से जोड़कर उन्होंने अपनी रचनायें गढ़ीं।

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'उसे क़रीब से देखा तो कुछ शिफ़ा पाई
कई बरस में मिरे जिस्म से बुख़ार गया'
- हसीब सोज़